जर्मनी में सैलानियों पर बिस्तर कर
११ नवम्बर २०११सैलानियों पर नया कर लगाने वाले शहरों में जर्मनी की राजधानी बर्लिन नया नाम है. इससे पहले हैम्बर्ग और कलोन जैसे बड़े शहरों के साथ साथ वाइमार और आखन जैसे छोटे शहर भी यह टैक्स ले रहे हैं जिसे कुछ लोग बेड टैक्स या बिस्तर कर कहते हैं. बिस्तर कर इसलिए क्योंकि यह सैलानियों को शहर में रात गुजारने की एवज में देना होगा. एक दर्जन से ज्यादा शहर यह नया कर लागू कर चुके हैं. बर्लिन के वित्तीय सेनेटर उलरिष नुसबाउम कहते हैं, "मेरे ख्याल से यह बिल्कुल जायज है कि बर्लिन अपने सैलानियों को सांस्कृतिक या अन्य गतिविधियों का मौका उपलब्ध कराता है. सैलानी भी इसमें योगदान दें." हालांकि इस विभाग ने 18 महीने पहले इस टैक्स को लगाने साफ इनकार कर दिया था क्योंकि उन्हें डर था कि इससे सैलानियों की तादाद पर असर पड़ सकता है.
क्यों पड़ी जरूरत
शहर पर आर्थिक दबाव इतना ज्यादा है कि वित्त विभाग आमदनी के नए जरिये ढूंढ रहा है. इसकी एक वजह वैट का कम हो जाना भी है. पहले होटलों को 19 फीसदी वैट देना होता था जबकि अब यह सिर्फ सात फीसदी कर दिया गया है.
जर्मनी टूरिजम असोसिएशन इस टैक्स की सख्त विरोधी है. होटल और रेस्तरां असोसिएशन भी इसका विरोध कर रहे हैं. संघीय सरकार में टूरिजम के लिए जिम्मेदार कमिश्नर एर्न्स्ट बुर्गबाषर ने भी इस बारे में चेताया है.
फिलहाल यह तय नहीं किया गया है कि टैक्स कितना होगा, लेकिन अनुमान हैं कि एक रात के रुकने के खर्च का पांच फीसदी बिस्तर कर हो सकता है. नुसबाउम ने कहा है कि यह बर्लिन में एक दिन के रेल-बस टिकट के बराबर हो सकता है. यानी 2.30 यूरो यानी लगभग 150 रुपये. इस हिसाब से बर्लिन का टैक्स कलोन से कम होगा. कलोन ने ही सबसे पहले बिस्तर कर शुरू किया था. वहां यह टैक्स पांच फीसदी है. इससे पिछले साल शहर को 70 लाख यूरो की कमाई हुई. और अनुमान है कि इस साल यह कमाई दोगुनी हो जाएगी. मशहूर साहित्याकर गोएटे का शहर वाइमार छोटा है लेकिन वहां की सांस्कृतिक गतिविधियां काफी सैलानियों को आकर्षित करती हैं. वहां भी बिस्तर कर से लगभग 10 लाख यूरो की कमाई का अनुमान है.
नफा नुकसान कितना
बर्लिन में हर साल 20 लाख से ज्यादा लोग कम से कम एक रात गुजारते हैं. इसलिए शहर प्रशासन को उम्मीद है कि बिस्तर कर से उसे पांच करोड़ यूरो तक की कमाई हो सकती है. हालांकि शहर पर 64 अरब यूरो का कर्ज है जिसके मुकाबले यह कमाई कुछ भी नहीं है. लेकिन वैट कम होने से हुए घाटे से तो यह दोगुनी है. पर कर्मचारी कह रहे हैं कि जितनी कमाई इस नए टैक्स से होगी, उतना तो इसे वसूलने का खर्च आ जाएगा. वित्तीय कर्मचारियों की यूनियन के प्रमुख थोमास आईगेंथालर कहते हैं कि नया स्टाफ, नए दफ्तर और कंप्यूटर खरीदने के भी तो पैसे देने होंगे.
फिर सवाल यह भी है कि बर्लिन में पहले ही होटल उद्योग में जबर्दस्त प्रतिस्पर्धा है. बर्लिन का टूरिजम विभाग हालांकि इस टैक्स के बारे में खामोश है लेकिन कुछ समय पहले उसके प्रमुख बुर्कहार्ड कीकर ने कहा था कि होटल उद्योग पर और ज्यादा दबाव नहीं डाला जाना चाहिए. होटल मालिक तो नए टैक्स से नाराज हैं ही. होटल और रेस्तरां असोसिएशन के अध्यक्ष थोमास लेंगफेल्डर कहते हैं कि बड़ी कंपनियां तो इस नए दबाव को झेल लेंगी लेकिन घरेलू स्तर पर काम करने वाले लोगों को इस नए कर का बोझ मेहमानों पर डालना होगा. लेंगफेल्डर कहते हैं, "बेड टैक्स मध्यम दर्जे के खिलाड़ियों को तो खत्म कर देगा. हम इसके खिलाफ पूरे जोर शोर से लड़ाई करेंगे."
इस लड़ाई का एक हथियार अदालती जंग भी हो सकती है. लेकिन इस टैक्स को लेकर अदालतों का रुख अलग अलग रहा है. मसलन म्यूनिख ने जब ढाई यूरो का बेड टैक्स लगाने की सोची तो अदालत ने साफ मना कर दिया. लेकिन एरफुर्ट और ट्रियर जैसे शहरों में अदालतों ने इसे नहीं रोका. कलोन में भी होटल मालिक इस टैक्स के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं.
रिपोर्टः डीपीए/वी कुमार
संपादनः ओ सिंह