जर्मन कोर्ट का फैसलाः बेल आउट असंवैधानिक नहीं
७ सितम्बर २०११कार्ल्सरूहे की अदालत ने बुधवार को दिए फैसले में यूरो बेल आउट पैकेज और ग्रीस को दी गई द्विपक्षीय मदद को सही करार दिया है. लेकिन अदालत ने यह भी कहा है कि आगे से इस तरह के फैसलों में हर कदम पर बजट कमेटी की मंजूरी जरूरी होगी. प्रोफेसर्स और क्रिश्चिन सोशल यूनियन के सांसद पेटर गाऊवाइलर की मंडली इस मामले को संवैधानिक अदालत में ले गई थी.
संसद को ज्यादा अधिकार
मई 2010 में संसद ने ग्रीस के लिए आपात राहत पैकेज की अनुमति दी थी. जिसमें जर्मनी ने ग्रीस के लिए 170 अरब यूरो लोन की गारंटी देने की बात कही. संवैधानिक अदालत के सात सितंबर 2011 के फैसले में कहा गया कि इस बेल आउट के कारण करदाताओं के पैसे के खर्च पर नियंत्रण करने के संसद के अधिकार का हनन नहीं हुआ है. साथ ही अदालत को इस बात के भी कोई सबूत नहीं मिले कि गारंटी के भुगतान की सीमा बजट की क्षमता से बाहर जा रही है.
जज आंद्रेयास फॉसकुले ने कहा, "बड़े खर्चों के मामले में सरकार को संसदीय बजट समिति की सहमति अनिवार्य होगी. यह फैसला वैसे तो अंगेला मैर्केल सरकार की एक जीत है लेकिन इससे जर्मनी और यूरोप भी अगले बेल आउट के मामले में तेजी से फैसले नहीं ले पाएगा."
यूरो समर्थकों की जीत
संसद में अंगेला मैर्केल ने कहा कि यह फैसला इस बात की पुष्टि है कि सरकार सही दिशा में है. और यह यूरो जोन में एकता के लिए भी अच्छा है. साथ ही इस फैसले ने इस तथ्य को भी बल दिया है कि जर्मनी को बाकी के यूरोप के साथ रहना चाहिए. यूरो गारंटी यूरोप की एकता का सबूत है. अगर यूरो गिरता है तो यूरोप भी गिरेगा.
यूरोपीय आयोग की प्रवक्ता पिया आहरेनकिल्डे हांसन ने भी इस फैसले की तारीफ की है. उन्होंने कहा, "संघ की क्षमता के लिए यह एक अहम फैसला है और यूरोपीय संघ के सदस्यों की कार्रवाई के लिए भी ताकि सदस्य देश कर्ज संकट में पड़े देश की मदद कर सकें."
रिपोर्टः डॉयचे वेले/आभा एम
संपादनः महेश झा