जीने का तरीका बदले तो 4 खरब यूरो बचेंगे
४ फ़रवरी २०११डब्ल्यूडब्ल्यूएफ और ईकोफिस ने ऊर्जा के उपयोग पर द एनर्जी रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया को कार्बन जीवाश्म से बने पेट्रोल, डीजल, कोयला और गैस जैसे ईंधनों पर निर्भरता कम करनी होगी. रिपोर्ट के मुताबिक वातावरण परिवर्तन को रोकने के लिए भारी निवेश करके 2050 तक ऊर्जा जरूरतों की निर्भरता 95 फीसदी साफ ऊर्जा पर लानी होगी.
ग्रीन एनर्जी में निवेश जरूरी
रिपोर्ट में हर साल रीन्यूएबल ऊर्जा के लिए एक से साढ़े तीन खरब यूरो के निवेश की सलाह दी गई है. साथ ही अगले 25 साल के भीतर जीवन पद्धति में भारी बदलाव की वकालत की गई है. इस वक्त 2010 के आंकड़े आ रहे हैं जिनके मुताबिक तेल कंपनियों ने भारी भरकम मुनाफे कमाए हैं. ऐसे में डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की सलाहों को जरूरत से ज्यादा महत्वाकांक्षी कहा जा सकता है. डब्ल्यूडब्ल्यूएफ भी ऐसा मानता है. लेकिन उसका कहना है कि फिलहाल जिस रास्ते पर मानव सभ्यता जा रही है, उससे मुड़ने की सख्त जरूरत है.
डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के महानिदेशक जेम्स लीप ने कहा कि शुरुआत में बड़ी पूंजी की जरूरत है जो कि बड़ी चुनौती है लेकिन वह कहते हैं कि इस वक्त तकनीक और पैसे की इतनी उपलब्धता तो है कि कार्बन उत्सर्जन को कम किया जा सके और ग्लोबल वॉर्मिंग पर काबू पाया जा सके. उन्होंने कहा, "हमने पाया है कि आज उपलब्ध तकनीक इस काबिल है कि रीन्यूएबल स्रोतों से दुनिया की ऊर्जा जरूरतों को पूरा किया जा सके. और ऐसा विकास को प्रभावित किए बिना ही किया जा सकता है."
चार खरब यूरो बचेंगे
फंड की रिपोर्ट के मुताबिक फिलहाल दुनिया की ऊर्जा जरूरतों का 80 फीसदी हिस्सा पेट्रोल, डीजल जैसे जीवाश्म ईंधन वगैरह से पूरा होता है. लेकिन 2009 तक साफ ऊर्जा पर निवेश 110 अरब यूरो तक पहुंच चुका था. रिपोर्ट कहती है, "अगर जैसा चल रहा है, उसे रोका जाए तो ऊर्जा कुशलता के जरिए 2050 तक चार खरब यूरो की बचत की जा सकती है." लेकिन तेल से साफ ऊर्जा की ओर जाना काफी महंगा है. इसके बावजूद रिपोर्ट दावा करती है कि अगर अभी से निवेश शुरू किया जाए तो 2040 तक दुनिया 'न लाभ न हानि' की स्थिति में पहुंच जाएगी.
सब्सि़डी घटाओ
अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी और ओईसीडी के अनुमान के मुताबिक जीवाश्म ईंधन पर अगर सब्सिडी खत्म कर दी जाए तो दुनियाभर में सालाना 500 से 800 अरब डॉलर की बचत हो सकती है. ऐसा भी अनुमान है कि साफ ऊर्जा की ओर जाने का फायदा यह होगा कि 2050 तक ऊर्जा जरूरतों में ही 15 फीसदी की कमी आ जाएगी. ऐसा जनसंख्या बढ़ने, औद्योगिक विकास और अमीरी बढ़ने के बावजूद संभव होगा.
डब्ल्यूडब्ल्यूएफ ने अपनी रिपोर्ट में ट्रांसपोर्ट और बिजली से ऊर्जा बचाने के साथ साथ रोजमर्रा की जिंदगी में ऊर्जा की बचत पर भी जोर दिया है. रिपोर्ट में लोगों की खाने पीने की आदतों और घरेलू ऊर्जा खर्च में बदलाव की बात कही गई है.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः महेश झा