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टाटा ने फूंकी जगुआर, लैंडरोवर में नई जान

२ जून २०११

भले ही टाटा को कुछ मुश्किल फैसले लेने पड़े हों लेकिन उन्होंने गर्त में जाती ब्रिटिश कार कंपनियों जगुआर और लैंडरोवर में नई जान फूंक दी है. इन कारों की बिक्री अचानक बढ़ गई है. टाटा ने चार साल पहले इन कंपनियों को खरीदा है.

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Bildbeschreibung: Auf der Techno Classica, der größten Klassiker-Messe der Welt, werden in Essen rund 2500 Oldtimer ausgestellt. Auf der 22. Ausgabe der Messe werden kostbare Autos gekauft und verkauft. Oldtimer werden immer mehr als sichere Geldanlage gesehen. Rechteinhaber: S. Matic, DW Freier Mitarbeiter (DW Intern), HA MSOE Rechte: "Hiermit erlaube ich der Deutschen Welle, diese Fotos auf der Webseite zu veröffentlcihen. S. Matic."
तस्वीर: DW/Srecko Matic

अमेरिकी कार कंपनी फोर्ड ने 2007 में सिर्फ 50,000 लैंडरोवर और करीब 17,000 जगुआर कारें बेची थीं. उसी साल फोर्ड ने इन कंपनियों को भारत की टाटा के हाथों करीब 2.3 अरब डॉलर में बेच दिया. इसके बाद टाटा ने जम कर मेहनत की और नतीजा सामने है. टाटा ने पिछले हफ्ते अपनी सालाना बिक्री का खुलासा किया और बताया कि पिछले साल इन कारों की बिक्री करीब ढाई लाख तक पहुंच गई.

पिछले हफ्ते ही लैंडरोवर को एसेंबल करने के लिए पहली भारतीय फैक्ट्री खुल गई है. समझा जाता है कि तेजी से बढ़ रही कारों के बाजार यानी भारत में इसके बाद लक्जरी कारें भी अपनी जगह बना पाएंगी.

जगुआर और लैंडरोवर की कामयाबी टाटा के लिए बड़ी बात है, जिसका मुख्य बाजार भारत है और जिसे कारों से नहीं, बल्कि ट्रकों और बसों की बिक्री से सबसे ज्यादा मुनाफा मिलता रहा है. इन कंपनियों को खरीदने के नौ महीने बाद टाटा को 25 अरब रुपयों का नुकसान हुआ था और उस वक्त कंपनी ने कहा था कि इसकी वजह यही दोनों ब्रांड हैं. लेकिन बाद में टाटा ने सधे हुए हाथ दिखाए. उसे ब्रिटेन में करीब 3,000 नौकरियां भी कम करनी पड़ीं और कंपनी को कुछ सख्त कदम उठाने पड़े लेकिन आखिर में उसे फायदा पहुंचा.

Tata Motors Chairman Ratan Tata, second left, Managing Director Ravi Kant, third left, and other officials pose at the launch of the Jaguar XJ at the 10th Auto Expo in New Delhi, India, Tuesday, Jan. 5, 2010. Auto Expo is scheduled from Jan. 5 to 11. (AP Photo/Gurinder Osan)
तस्वीर: AP

टाटा ने जर्मन कार कंपनियों बीएमडब्ल्यू, मर्सिडीज और आउडी की देखा देखी जगुआर और लैंडरोवर के लिए भी विकासशील देशों के बाजार से कच्चे माल का जुगाड़ किया. यहां तक कि फैसले भी जल्दी जल्दी लिए गए.

टाटा ने ऐसे वक्त में लक्जरी कारों में तीन अरब यूरो झोंके, जब दुनिया वित्तीय घाटे में चल रही थी और बड़ी कंपनियां छोटी कारों में निवेश कर रही थीं. कार बाजार के जानकार होवार्ड व्हीलडन का कहना है, "जगुआर लैंडरोवर ने इस बात को साबित कर दिया कि ब्रिटेन में निवेश करने से भी फायदा हो सकता है." समझा जाता है कि टाटा अब भारतीय बाजार के लिए भी इन दोनों लक्जरी कारों को उपलब्ध कराने की स्थिति में आ गया है.

टाटा मोटर्स भारत में जगुआर एक्सजे, एक्सएफ, एक्सके और सेडान मॉडल बेचता है. वह लैंडरोवर के डिस्कवरी और रेंजरोवर मॉडल भी भारत में उतार चुका है. हालांकि भारत में उसने सिर्फ 891 कारें बेची हैं.

इस कामयाबी के साथ टाटा के मालिक रतन टाटा को विवादों का भी सामना करना पड़ा है. हाल ही में मीडिया में रिपोर्टें आईं, जिसमें रतन टाटा ने ब्रिटेन में कामकाज के तरीकों पर सवाल उठाया और कहा कि कोई भी कंपनी के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करना चाहता है.

रिपोर्टः एएफपी/ए जमाल

संपादनः महेश झा

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