तमिल फिल्म में ओबामा हीरो
१५ नवम्बर २०१०बेशक पहला सवाल होगा कि यह कैसे हो सकता है. फिल्म की निर्देशक ने इसे संभव बनाया कट आउट और पोस्टरों के जरिए. फिल्म में ओबामा को दिखाने के लिए यही तरीका आजमाया गया है.
ओम ओबामा नाम की यह फिल्म तमिलनाडु में एक काल्पनिक गांव की कहानी है जिसका नाम रखा गया है केदारपालायम. पत्रकार से फिल्मकार बनीं जानकी विश्वनाथन की यह कम बजट की फिल्म ओबामा के प्रति इस गांव के लोगों की कहानी है.
विश्वनाथन कहती हैं, "यह गांव मानता है कि ओबामा को राष्ट्रपति बनाने में उसका अहम योगदान है. और बदले में ओबामा उन्हें आर्थिक संकट से बचाते हैं. कहानी में राजनीति और रोमांस भी हैं."
विश्वनाथन एक गांव की कहानी पर तो काफी पहले से काम कर रही थीं लेकिन वह इस कहानी के लिए बड़ी पृष्ठभूमि की तलाश में थीं. असल में यह कहानी आर्थिक संकट से जूझते एक गांव की है जिसका विचार उन्हें तिरुपुर के कपड़ा उद्योग पर पड़ी आर्थिक संकट की मार के बारे में पढ़ने के बाद आया. और साथ में उन्होंने ओबामा से जुड़ी उम्मीदों को जोड़ दिया. वह बताती हैं, "ऐसा माना जा रहा था कि ओबामा राष्ट्रपति बन जाएंगे तो दुनिया में सब बदल जाएगा. मुझे लगा कि यह दिलचस्प है मानो ओबामा एक फरिश्ता हों."
विश्वनाथन कहती हैं कि ओबामा फिल्म में हर वक्त मौजूद रहेंगे भले ही वह दिखाई न दें. लेकिन फिल्म में ओम शब्द का इस्तेमाल क्यों किया गया है? वह कहती हैं, "मैंने इंटरनेट पर कहीं पढ़ा कि तिरुपुर में लोग कहने लगे हैं दुकानों पर ओम लाभम की जगह ओम ओबामा लिखा जाना चाहिए. मुझे यह काफी आकर्षक लगा."
फिल्म की शूटिंग अप्रैल महीने से चल रही है. अब यह तैयार है और जल्दी ही इसे रिलीज किया जाएगा. विश्वनाथन का कहना है कि आपको फिल्म में ओबामा के हीरो होने की बात अजीब लग सकती है लेकिन जब आप फिल्म देखेंगे तो आपको पूरी तरह समझ आ जाएगा.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः ए कुमार