तासीर के जाने से और बढ़ेगी पीड़
५ जनवरी २०११राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के करीबी माने जाने वाले तासीर का रोजमर्रा की राजनीतिक गतिविधियों से ज्यादा लेना देना नहीं था. लेकिन जिस तरह देश की राजधानी में उन्हें दिन दहाड़े कत्ल कर दिया गया, उससे एक सीधा संदेश गया है कि पाकिस्तान सरकार देश में स्थिरता लाने की काबिलियत खोती जा रही है.
तीन दिन पहले ही सत्ताधारी गठबंधन के एक प्रमुख सहयोगी दल एमक्यूएम ने सरकार का साथ छोड़ दिया. इसके बाद सरकार अल्पमत में आ गई और प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी अपनी सरकार बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
पाकिस्तान के राजनीतिक विश्लेषक हसन असकरी रिजवी कहते हैं, "इस कत्ल ने सरकार के संकट को सामने ला दिया है. इससे यह सच भी सामने आ गया है कि आतंकवाद की समस्या पाकिस्तान में किस गहराई तक जड़ें जमा चुकी है."
सलमान तासीर का कत्ल उन्हीं के अंगरक्षक के हाथों हुआ. एक चश्मदीद गवाह के मुताबिक जब वह एक बाजार में अपनी कार से बाहर आ रहे थे तब उन पर गोलियां दागी गईं. 2007 में बेनजीर भुट्टो के कत्ल के बाद से यह पाकिस्तान में सबसे बड़ी हस्ती की हत्या है. गृह मंत्री रहमान मलिक ने कहा कि तासीर का कत्ल इसलिए हुआ क्योंकि वह मुल्क के ईशनिंदा विरोधी कानून के खिलाफ थे.
पाकिस्तान सरकार के लिए हालात मुश्किल इसलिए भी हैं क्योंकि इस वक्त वह आर्थिक सुधारों को लागू कराने की कोशिश कर रही है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने उसे 11 अरब डॉलर का कर्ज देने का वादा किया है जिसके बदले सरकार को देश में आर्थिक सुधार लागू करने हैं. लेकिन सरकार की अपनी स्थिरता ही मुश्किल में पड़ी हुई है.
हालांकि इन हालात में भी पाकिस्तान का शेयर बाजार स्थिर बना हुआ है. 2010 में इसमें 28 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. और कई निवेशक इस अस्थिर स्थिति का ही फायदा उठाने के चक्कर में हैं. एचएसबीसी न्यू फ्रंटियर्स फंड के लंदन में मौजूद मैनेजर आंद्रेय नानिनी कहते हैं, "जब आप पाकिस्तान में निवेश की बात करते हैं तो अस्थिरता और चंचलता को गिनकर ही चलते हैं. लेकिन हमें लगता है कि लंबे समय के हिसाब से वहां का बाजार आकर्षक है." लेकिन यह बात आंद्रेय ने सलमान तासीर के कत्ल की खबर आने से पहले कही थी.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः महेश झा