तीन रूसी सैटेलाइट पानी में
६ दिसम्बर २०१०रूसी समाचार एजेंसियों ने कहा कि सैटेलाइट अपनी कक्षा से बाहर चला गया और हवाई द्वीप के नजदीक क्रैश हो गया. इन्हें कजाकिस्तान में रूसी बैकोनूर स्पेस स्टेशन से छोड़ा गया था. रूस इस अभियान को खास तौर पर अमेरिकी जीपीएस सिस्टम की तोड़ में बना रहा था,
रूस के खुर्नीकेव स्पेस सेंटर ने कहा कि सैटेलाइट सही कक्षा में नहीं पहुंच सके. उधर स्पेस एजेंसी रोसोकोमोस ने कहा, "हमारे टेलिमैट्रिक विश्लेषण से पता चला है कि सैटेलाइट कक्षा से बाहर चले गए."
दोनों ही एजेंसियों ने बयान में कहा है कि विशेषज्ञ इस बात की जांच कर रहे हैं कि गलती कहां हुई. ये सैटेलाइट रूस के ग्लोबल नेविगेशन सिस्टम यानी ग्लोनैस के सैटेलाइटों में आखिरी थे.
इन सैटेलाइटों के फेल होने के कारण रूस के सैटेलाइट नेविगेशन के अभियान में देरी होगी. रूस देशी नेविगेशन सिस्टम के जरिए, ग्लोनैस यंत्रों का उत्पादन कर अपनी अर्थव्यवस्था को गति देना चाहता है. 10 साल में रूस ने इस कार्यक्रम पर दो अरब डॉलर खर्च किए हैं. रूसी सरकार ने संरक्षणवादी कदम उठाने का भी प्रस्ताव रखा है. जिसके तहत ग्लोनैस का उपयोग बढ़ाने के लिए जीपीएस को रोकने के उपाय किए गए हैं. सैटेलाइट को छोड़े जाने से पहले रोसोकोमोस ने कहा था कि ग्लोनैस अगले छह सप्ताह में काम करने लगेगा.
अक्तूबर में उप प्रधानमंत्री सेर्गई इवानोव ने 2012 के बाद बिना ग्लोनैस नेविगेशन सिस्टम वाले मोबाइल फोन्स के आयात पर 25 फीसदी अधिभार लगाए जाने के बारे में कहा था. तो अगस्त में ग्लोनैस के अध्यक्ष अलेक्जेंडर गुर्को ने बताया था कि नोकिया, मोटोरोला और क्वालकोम रुसी चिप निर्माता कंपनियों से बातचीत कर रहे हैं ताकि ग्लोनैस वाले मोबाइल फोन्स का उत्पादन हो सके. गुर्को ने कहा था कि रूसी सैटेलाइट नेविगेशन का बाजार 2010 में करीब एक अरब होगा और चार साल यानी 2014 तक यह बढ़ कर 10 अरब हो जाएगा. साथ ही गुर्को ने इस तकनीक को भारत और मध्यपूर्व और पूर्वी सोवियत संघ के देशों में भेजने के बारे में भी कहा था.
एमटूएम इलेक्ट्रोनिक्स के एवजेनी बेलिएन्को ने रूस के सरकारी न्यूज चैनल से बातचीत में कहा, "पहले भेजे जा चुके सैटेलाइट पूरे रूस को कवर करते हैं और ध्रुवीय अक्षांश के लिए भी काफी हैं लेकिन हो सकता है कि भूमध्यरेखीय इलाकों के लिए ये पर्याप्त नहीं हों. लेकिन इन तीन उपग्रहों के नहीं होने से कोई बड़ा फर्क नहीं पड़ेगा."
बेलिएन्को का कहना है कि फिलहाल कक्षा में 26 ग्लोनैस सैटेलाइट हैं. इनमें से 20 काम कर रहे हैं जबकि दो अतिरिक्त हैं और चार सैटेलाइटों का रख रखाव किया जा रहा है.
रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम
संपादनः एन रंजन