तुर्की में अमेरिकी दूतावास पर हमला
१ फ़रवरी २०१३अमेरिकी राजदूत फ्रांसिस रिकार्डोन इमारत के मुख्य द्वार से निकल गए, जो चारों तरफ ऊंची दीवारों से घिरा है. उन्होंने मीडिया को संबोधित किया और इस पूरे वक्त तुर्की का एक सुरक्षा हेलिकॉप्टर ऊपर आसमान में उड़ान भरता रहा.
तुर्की में अमेरिकी दूत रिकार्डोन ने कहा, "हमें इस बात का बेहद दुख है कि हमने एक तुर्क गार्ड को खो दिया." यह गार्ड इमारत की सुरक्षा के लिए तैनात था. तुर्की के प्रधानमंत्री रैचप तैयप एर्दोआन ने इस बात की पुष्टि की है कि यह एक आत्मघाती हमला था.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स का दावा है कि एक व्यक्ति बुरी तरह घायल हुआ है, जिसे हवाई एंबुलेंस से अस्पताल ले जाया गया. हमले से करीब 100 मीटर दूर तक की दुकानों को नुकसान पहुंचा. वहां के एक दुकानदार कामियार बार्नोस ने बताया, "यह एक शक्तिशाली विस्फोट था. हमने हवा में उड़ती हुई चीजें देखीं, जो किसी के शरीर का अंग हो सकता है." एक और चश्मदीद का दावा है कि इसकी आवाज एक मील दूर तक सुनी गई.
अभी तक किसी ने इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है. ब्रिटेन के तुर्की उच्चायोग ने इसे आतंकवादी घटना बताया है. तुर्क अधिकारियों का कहना है कि विस्फोट के समय आत्मघाती हमलावर अमेरिकी दूतावास की जमीन पर था. इससे पहले 2008 में इस्तांबुल में भी अमेरिकी वाणिज्य दूतावास के पास हमला हुआ था, जिसमें तीन लोग मारे गए थे. उस वक्त अल कायदा पर शक जताया गया.
तुर्की की मीडिया में वीडियो दिखाया जा रहा है कि करीब सवा एक बजे दोपहर को हुए इस हमले में सुरक्षा चौकी के पास विस्फोट हुआ. पुलिस ने इमारत को चारों तरफ से घेर लिया है और सुरक्षा चौकस कर दी गई है. समाचार एजेंसी एपी का कहना है कि इस घटना के बाद से अमेरिकी दूतावास में कोई फोन नहीं उठा रहा है. हालांकि यहां से एक बयान जारी किया गया, "अमेरिकी दूतावास तुर्क सरकार, मीडिया और इसके लोगों का शुक्रिया अदा करता है, जिन्होंने इस समय एकता दिखाई." अमेरिकी दूतावास के आस पास दूसरे देशों के दूतावास भी हैं.
तुर्की में इस तरह के हमले के बाद सीधा शक कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी यानी पीकेके की तरफ जाता है, जिसे अमेरिका, यूरोपीय संघ और तुर्की आतंकवादी संगठन मानता है. हालांकि पीकेके आम तौर पर घरेलू जगहों को निशाना बनाता है.
हाल में सीरिया के साथ तनाव को लेकर भी तुर्की सुर्खियों में रहा है. तुर्की ने सीरिया से लगी अपनी सीमा पर जर्मनी की मदद से पैट्रियट मिसाइलें तैनात की हैं. तुर्की में हाल के दिनों में सबसे खतरनाक हमला 2003 में हुआ था, जब दो यहूदी धार्मिक स्थलों को निशाना बनाया गया. उसमें 30 लोग मारे गए.
एजेए/एएम (एपी, रॉयटर्स)