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दो भारतीय भाषाओं को बचाएगी कैंब्रिज यूनिवर्सिटी

१५ दिसम्बर २०१०

केरल की दो आदिवासी भाषाओं को बचाने के लिए ब्रिटेन की कैंब्रिज यूनिवर्सिटी खास पहल करने जा रही है. वह लुप्त होने के कगार पर खड़ी इन भाषाओं को दस्तावेजों में सहेजेगी. दुनिया भर की हजारों भाषाएं भी प्रोजेक्ट में शामिल हैं.

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तस्वीर: AP

इन भाषाओं का संबंध केरल के पलक्कड़ जिले के दो आदिवासी समुदायों मुदुगर और कुरुंबर लोगों से है. कैब्रिज ने इन्हें विलुप्त होने के कगार पर खड़ी जनजातियों में शामिल किया है. कैंब्रिज के वर्ल्ड ओरल लिटरेचर प्रोजेक्ट के निदेशक मार्क तुरीन बताते हैं कि दुनिया भर में साढ़े छह हजार से ज्यादा भाषाएं बोली जाती हैं जिनमें से आधी भाषाएं इस सदी के आखिर तक आम बोलचाल का जरिया नहीं रहेंगी.

इन भाषाओं को संरक्षित करने और दुनिया को इनके बारे में बताने के लिए कैंब्रिज यूनिवर्सिटी ने यह प्रोजेक्ट शुरू किया है जिसमें वीडियो, ऑडियो और फोटोग्राफी के माध्यम से जनजातीय समुदायों के साहित्य और संस्कृति को दस्तावेजी रूप दिया जाएगा.

भारत से संबंधित एक और प्रोजेक्ट राजस्थान में तेजाजी के नाम से पूजे जाने वाले देवता के जीवन और कारनामों से जुड़ी गाथा की 20 घंटे की रिकॉर्डिंग है जिसे माली समुदाय के लोग गाते हैं. तेजाजी को राज्य के हाड़ौती इलाके में पूजा जाता है. यूनिवर्सिटी के सूत्रों का कहना है कि हडोटी भाषा से इस सामग्री का पहले हिंदी और बाद में अंग्रेजी में अनुवाद किया जाएगा.

इस तरह तैयार होने वाले डाटाबेस में विलुप्त होने के कगार पर खड़ी भाषा के बारे में जानकारी होगी. जैसे उसे बोलने वाले कितने लोग हैं, उसे कितना खतरा है और उससे जुड़े मिथक, लोक साहित्य और कहावतें कौन सी हैं. इस प्रोजेक्ट में दुनिया की 3,534 भाषाओं के बारे में जानकारी जुटाई जाएगी.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः एस गौड़

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