धमाकों से थर्राया बगदाद, 57 मौतें
३ नवम्बर २०१०इन सभी धमाकों में कैफे, रेस्त्रां और बाजारों को निशाना बनाया गया. पुलिस ने धमाकों वाली जगहों पर जाने वाले सारे रास्ते सील कर दिए और पूरे शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया है. रविवार को ही अल कायदा के बंदूकधारियों ने एक चर्च पर हमला कर वहां मौजूद लोगों को बंधक बना लिया. दर्जनों लोगों की रिहाई के लिए इराकी विशेष बल की कार्रवाई में 46 बंधक मारे गए.
मंगलवार को हुए धमाकों के बारे में गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, "आज 11 कार बम हमलों में 57 लोग मारे गए हैं और 248 लोग घायल हो गए हैं. ये सभी धमाके एक ही समय पर हुए." इन धमाकों में बगदाद के शिया आबादी वाले जिलों को निशाना बनाया गया. कुछ धमाके कैफे और रेस्त्राओं को पास भी हुए.
इराक में इस साल 7 मार्च को हुए चुनावों में किसी पार्टी या गठबंधन को बहुमत न मिलने के कारण कोई सरकार नहीं है. चुनावों में प्रधानमंत्री नूरी अल मालिकी के नेतृत्व वाला स्टेट ऑफ लॉ शिया गठबंधन इयाद अलावी के मुख्यतः सुन्नी समर्थित इराकिया गठबंधन से थोड़ा सा ही पीछे रहा. दोनों गठबंधन विभिन्न राजनीतिक धड़ों के साथ पर्दे के पीछे बात करते रहे हैं लेकिन अब तक कोई भी सरकार बनाने के लिए पर्याप्त बहुमत नहीं जुटा सका है.
सरकार न होने की वजह से असुरक्षा की भावना बढ़ रही है और उग्रवादी इसे बदला लेने का अच्छा मौका मान रहे हैं. मंगलवार को हुए धमाके और चर्च पर हमला ऐसे समय में हुआ जब इराक 2003 में अमेरिकी हमले के बाद खुद अपने पैरों पर खड़ा होने की कोशिश कर रहा है. ये हमले युद्ध से तबाह देश इराक के पुनर्निर्माण की खातिर वहां विदेशी निवेश और तकनीक को आकर्षित करने की दिशा में हो रही कोशिशों के लिए भी धक्का हैं. इराक में 2006 और 2007 में चरम पर रही जातीय हिंसा के बाद सुरक्षा की स्थिति बेहतर हुई है, लेकिन राजधानी बगदाद और उत्तरी शहर मोसूल में बम धमाके अब भी आम हैं.
इराक में 2009 के बाद पिछले महीने सबसे कम हिंसा देखी गई. इसी हफ्ते सरकार की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर 2010 में 194 इराकी मारे गए जिनमें 53 की मौत रविवार को बंधक कांड के दौरान हुई. इस कार्रवाई में 46 बंधक और सात सुरक्षाकर्मी मारे गए.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः एमजी