'ध्यान मस्तिष्क की संरचना बदल देता है'
२८ अक्टूबर २०१०1970 में जब अमेरिका के मनोवैज्ञानिक रिचर्ड डेविडसन ने कहा कि वह ध्यान की ताकत पर शोध करना चाहते हैं तो उन्हें हंसी में टाल दिया गया. उन्हें यहां तक कहा गया कि एक विज्ञानी के तौर पर करियर शुरुआत करने का यह बिलकुल अच्छा तरीका नहीं है. लेकिन इसी शोध ने उन्हें आज दुनिया भर में नाम दिया है. अमेरिका की विसकॉन्सिन यूनिवर्सिटी में डेविडसन ध्यान और उसके प्रभावों पर शोध कर रहे हैं. हाल ही में उन्होंने एक टीवी से बातचीत में कहा कि ध्यान के कारण न केवल सहानुभूति, दया, प्रेम, शांति, करुणा के भाव पैदा होते हैं बल्कि इससे दिमाग की संरचना में भी बदलाव आ जाता है. उन्होंने ऐसे बौद्ध भिक्षुओं के मस्तिष्क की जांच की जिन्होंने 10 हजार घंटे ध्यान किया है और उन लोगों का जो ध्यान में नौसिखिए हैं.
जांच में सामने आया ध्यान करने वाले बौद्ध भिक्षुओं के मस्तिष्क की संरचना बदल गई है कोशिकाओं में बदलाव आया इस कारण उनके अंतः स्रावी तंत्र पर असर पड़ता है. शोध में सामने आया कि लंबे समय ध्यान करने वाले लोग ज्यादा खुश रहते हैं और उन्हें अपने आप तनाव से मुक्ति मिल जाती है.
1992 में तिब्बत के धर्म गुरू दलाई लामा ने डेविडसन से कहा कि अवसाद, व्यग्रता, डर के कारण ढूंढने की बजाए वह विज्ञान का उपयोग खुशी, करुणा, सहानुभूति के कारण ढूंढने में करें. न्यूयॉर्क टाइम्स से बातचीत में डेवडिसन ने कहा कि वह बातचीत मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण थी. एक ऐसी चर्चा जिसने मेरे जीवन की राह बदल दी.
फिलहाल डॉक्टर डेविडसन विस्कॉन्सिन मेडिसिन संस्थान में हैं और उन्होंने वहां मस्तिष्क के व्यव्हार पर जांच करने के लिए संस्थान भी शुरू किया है साथ ही स्वस्थ दिमाग की जांच भी.
भारत, तिब्बत में जारी ध्यान की अलग अलग विधाओं को उन्होंने एक वैज्ञानिक आधार दिया है. यह साबित किया है कि ध्यान के जरिए मानसिक असंतुलन के साथ ही मनौवैज्ञानिक बीमारियों का इलाज मिल सकता है और मनुष्य खुश बन जाता है.
रिपोर्टः आभा मोंढे
संपादनः ओ सिंह