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नए दौर का कामसूत्र

२४ अक्टूबर २०१०

वात्स्यायन के बताए पुराने कामसूत्र को मौजूदा दौर में कैसे इस्तेमाल किया जाए? नई जीवनशैली को अपना चुके लोग इससे कैसे फायदा उठा सकते हैं? यही बताती है एएनडी हकसर की नई किताब. य आधुनिक कामसूत्र है.

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तस्वीर: picture-alliance/ ZB

प्रकाशन गृह पेंग्विन इस किताब को अगले साल फरवरी तक दुनियाभर की किताबों की दुकानों तक पहुंचा देगा. किताब नए जमाने की भागदौड़ में जी रहे लोगों को सेक्स के कामयाब तरीके बताएगी. अखबार संडे टेलिग्राफ में छपी रिपोर्ट के मुताबिक सेक्स के आसनों और पुराने कामसूत्र के अनुवाद से अलग पॉकेट बुक्स के आकार में छपी यह किताब प्यार और रिश्तों के हर पहलू तक पहुंचने की कोशिश करती है.

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तस्वीर: DW/Khalid El Kaoutit

इससे पहले जब भी कामसूत्र की बात हुई तो 19वीं सदी में सर रिचर्ड फ्रांसिस बर्टान की किताब का जिक्र ही आया जिसमें तस्वीरें और प्राचीन कामसूत्र का अनुवाद किया गया है. इसकी भाषा भी पुराने जमाने वाली ही है.

इसके उलट संस्कृत के जानकार हकसर ने अपने कामसूत्र में ऐसी भाषा का इस्तेमाल किया है जो इस दौर में मुफीद बैठती है. औरतों का मूड क्यों बिगड़ जाता है, लड़कियां क्या न करें, क्या वह काम का है, उससे छुटकारा कैसे पाएं, आसान महिलाएं, सेक्स की तरफ जाएं, क्या करें और क्या नहीं, ये सब सलाह नहीं बल्कि इस किताब के चैप्टर हैं.

हकसर के मुताबिक आम धारणा यह है कि कामसूत्र में केवल सेक्स के बारे में बताया गया है जबकि यह सच नहीं है. वह कहते हैं, "कामसूत्र जीवनशैली और समाज में रहने वाले लोगों के बीच रिश्तों की बात बताता है. मैंने कोशिश की है कि कामसूत्र में जो बताया गया है उसे ज्यों का त्यों रख दूं. फर्क बस इतना हो कि उसकी भाषा आज के लोगों के समझ में आने लायक बनाई जाए."

पेंग्विन की एडिटोरियल डायरेक्टर एलेक्सिस किर्सबाम ने किताब के बारे में कहा, "नई किताब सेक्स के बारे में कम और शहरी लोगों की जीवनशैली के बारे में ज्यादा बात करती है." एलेक्सिस का मानना है कि अब तक कामसूत्र एक विवादित और छुप कर बात करने वाली चीज रही है लेकिन यह किताब लोगों को एक बेहतर जीवन जीने में मदद करने वाली साबित होगी, जहां केवल सेक्स की ही बात नहीं है. एलेक्सिस के मुताबिक, "यही वजह है कि किताब में सेक्स के आसनों की तस्वीरों जैसी चीज नहीं डाली गई."

कामसूत्र तीसरी सदी में भारतीय ऋषि वात्स्यायन ने तब के लोगों के लिए लिखा था. अब उसी का अनुवाद आज के लोगों के मुताबिक करने की कोशिश की जा रही है.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः वी कुमार

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