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पाकिस्तान आतंकवाद से खुद लड़ने में सक्षमः सेना

१२ जुलाई २०११

80 करोड़ डॉलर की अमेरिकी सैन्य सहायता रोके जाने के बाद पाकिस्तान की सेना ने सोमवार को जोर दे कर कहा कि वो बिना किसी बाहरी मदद के अपने दम पर इस्लामी आतंकवाद से लड़ने में सक्षम है.

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तस्वीर: AP

पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल अतहर अब्बास ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, "सेना ने बिना किसी बाहरी मदद के सफलतापूर्वक सैन्य अभियानों को पहले भी अंजाम दिया है और वर्तमान में भी दे रही है." अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबमा के प्रमुख सहयोगी विलियम डाले ने रविवार को एक टीवी इंटरव्यू में इस बात की पुष्टि की कि अमेरिका ने पाकिस्तान को दी जाने वाली वार्षिक सैन्य सहायता में एक तिहाई से ज्यादा की कटौती करने का फैसला किया है. हालांकि अब्बास ने यह भी कहा कि पाकिस्तानी सेना को आधिकारिक रूप से मदद रोकने के बारे मे कोई जानकारी नहीं मिली है.

आतंकवाद के खिलाफ जंग में दो प्रमुख सहयोगियों अमेरिका और पाकिस्तान के रिश्तों में बीते कुछ महीनों में कड़वाहट भर गई है. खासतौर से 2 मई को पाकिस्तान में घुस कर अमेरिकी कमांडोज के हाथों ओसामा बिन लादेन का मारा जाना पाकिस्तान के लिए ज्यादा अपमानजनक रहा. एक तरफ पाकिस्तान को इस ऑपरेशन के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई दूसरी तरफ पाकिस्तानी सेना पर अल कायदा से मिलीभगत और अक्षमता के आरोप भी लग रहे हैं.

U.S. Secretary of State Hillary Rodham Clinton looks at Adm. Mike Mullen, the chairman of the U.S. Joint Chiefs of Staff during their news conference at U. S. embassy in Islamabad, Pakistan Friday, May 27, 2011. Clinton said that relations between the United States and Pakistan had reached a turning point after the killing of Osama bin Laden and Islamabad must make "decisive steps" in the days ahead to fight terrorism. (Foto:B.K.Bangash/AP/dapd)
तस्वीर: dapd

अमेरिका की फटकार

अतहर अब्बास ने पाकिस्तानी सेना प्रमुख के उस बयान का भी हवाला दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि बिन लादेन की मौत के बाद अमेरिकी सहायता को नागरिकों की तरफ मोड़ देना चाहिए. इस बीच सोमवार को अमेरिका ने अपने फैसले के कारणों को स्पष्ट किया है. विदेश विभाग के प्रवक्ता विक्टोरिया न्यूलैंड ने कहा है, "जब हमारे सैन्य सहयोग की बात आती ही तो उसे वर्तमान रूप में जारी रखने के लिए हम तब तक तैयार नहीं होते जब तक हम यह न देख लें कि कुछ खास कदम उठाए गए हैं. जाहिर है कि ऐसे माहौल में जब कि पाकिस्तान ने हमारे ट्रेनर्स को वापस जाने के लिए कह दिया, हम सहायता उस रूप में जारी नहीं रख सकते."

अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने भी सोमवार को कहा कि अगर पाकिस्तान चाहता है कि सहायता जारी रहे तो उसे आतंकवादियों के खिलाफ कठोर कदम उठाने होंगे. वॉशिंगटन में यूरोपीय संघ की विदेश नीति प्रमुख कैथरीन एश्टन से मुलाकात के बाद हिलेरी क्लिंटन ने कहा, "पाकिस्तान की सरकार को अमेरिकी सैन्य सहायता पाने के लिए कुछ खास कदम उठाने होंगे जिनके बारे में हमने उन्हें बता दिया है." पत्रकारों से बातचीत में हिलेरी ने उन कदमों के बारे में नहीं बताया, लेकिन अमेरिका इस सवाल का जवाब पाना चाहता है कि क्या पाकिस्तान आतंवाद से जंग के प्रति पूरी तरह समर्पित है.

Pakistan Militär NO FLASH
तस्वीर: AP

आपसी निर्भरता

अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक रोकी गई सहायता में पाकिस्तान को मिलने वाली वह रकम भी शामिल है जो उसे अफगानिस्तान की सीमा पर एक लाख सैनिकों की तैनाती के लिए मिलती है. पाकिस्तान का कहना है कि उत्तर पश्चिमी सरहदी इलाके में उसके एक लाख चालिस हजार सैनिक तैनात है. अफगानिस्तान में 99000 से ज्यादा अमेरिकी सैनिक तैनात हैं जो तालिबानी उग्रवादियों से जंग लड़ रहे हैं.

अमेरिका पाकिस्तान से लगातार आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए कहता रहा है. इसमें अल कायदा से जुड़ा हक्कानी नेटवर्क भी है जो पाकिस्तानी जमीन का इस्तेमाल अफगानिस्तान में हमलों के लिए करता है. उधर पाकिस्तानी सेना का कहना है वह पहले से ही अपनी क्षमता से ज्यादा कार्रवाई कर रही है.

दोनों के बीच रिश्ते इतने गहरे है कि तुरंत अलग होना मुश्किल है. अमेरिका पाकिस्तानी बंदरगाह और एक जमीनी रास्ते का इस्तेमाल करता है. अफगानिस्तान में मौजूद उसके सैनिकों तक पहुंचने वाली रसद का आधा हिस्सा इसी रास्ते से जाता है. हालांकि रसद लेकर जा रहे ट्रकों के कारवां अक्सर आतंकियों के हमले का शिकार होते हैं. ग्यारह सितंबर के हमलों के बाद पाकिस्तान तालिबान से आधिकारिक रूप से रिश्ता तोड़ कर अमेरिका के साथ जुड़ गया और समय बीतने के साथ यह रिश्ता मजबूत होता चला गया. मौजूदा दौर में यह रिश्ता अब तक के सबसे बुरे हाल में है.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः ईशा भाटिया

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