पाकिस्तान और जर्मनी में रक्षा संधि
१३ मार्च २०१२रावलपिंडी में हुई बातचीत में दोनों पक्षों ने तीन साल की तैयारियों के बाद सैनिक सहयोग को बढ़ावा देने की बात पक्की कर दी. इस संधि के तहत सूचनाओं की अदला बदली हो सकेगी. साथ ही साझा मॉनिटरिंग और सैनिक अभ्यास पर भी सहमति हो गई है.
जर्मनी ने इस बात का पाकिस्तान को भरोसा दिया कि वह पाकिस्तानी सैनिकों को ट्रेनिंग देगा और हथियार भी उपलब्ध कराएगा. पाकिस्तान दुनिया के गिने चुने परमाणु शक्ति देशों में शामिल है. पाकिस्तान एक बड़ी सैनिक शक्ति भी है. उसके फौजियों की संख्या जर्मनी से दोगुनी है.
जर्मनी और भारत के रिश्ते भी हमेशा से अच्छे रहे हैं, इसलिए पाकिस्तान और जर्मनी के बीच हुई इस संवेदनशील संधि पर भारत की भी नजर है. हालांकि जर्मनी के करीब 5000 सैनिक अफगानिस्तान में तैनात हैं, इसलिए उसकी पाकिस्तान में दिलचस्पी समझ में आती है. थोमास दे मैजियैर ने भी इस बात पर जोर दिया कि "पाकिस्तान की अफगानिस्तान और पूरे इलाके में स्थिरता लाने की बड़ी भूमिका है. साथ ही पाकिस्तान और पड़ोसी देशों को अकलमंदी से अफगानिस्तान समस्या का हल ढूंढने में शामिल करना होगा." अहमद मुख्तार ने बातचीत के दौरान घोषणा की कि पाकिस्तान जल्द ही अफगानिस्तान जाने वाली सप्लाई रूटों को फिर से खोलने वाला है.
पुराने रिश्ते
जर्मनी और पाकिस्तान के बीच रिश्ते बहुत पुराने हैं. दोनों देशों के बीच व्यापार करीब दो अरब यूरो यानी करीब 130 अरब रुपये का है. भारत के साथ जर्मनी का व्यापार 20 अरब यूरो तक पहुंच गया है. जर्मनी ने पाकिस्तान को बाढ़ के वक्त काफी आर्थिक मदद दी थी. इससे पहले जर्मनी के विदेश मंत्री गीडो वेस्टरवेले भी दो बार पाकिस्तान का दौरा कर चुके हैं.
रिपोर्टः पडीपीए, पीई
संपादनः ए जमाल