"पाकिस्तान को बचाने" आए मुशर्रफ
२५ मार्च २०१३पूर्व तानाशाह मुशर्रफ मई में होने वाले आम चुनाव में हिस्सा लेना चाहते हैं. कयास लगाए जा रहे थे कि मुशर्रफ वापस नहीं आएंगे. लेकिन कराची पहुंच कर उन्होंने कहा, "मैं आ गया हूं. कहां हैं वे लोग, जो कहते थे कि मैं कभी नहीं आऊंगा."
पाकिस्तान का गठन 1947 में भारत से अलग करके किया गया और उसके बाद यह पहला मौका है, जब कोई लोकतांत्रिक सरकार अपना कार्यकाल पूरा कर रही है और उसके बाद चुनाव होने वाले हैं. चुनावों से पहले पाकिस्तान में रिटायर जज मीर हाजर खान खोसो को कामचलाऊ प्रधानमंत्री के तौर पर नियुक्त कर दिया गया है.
राष्ट्रपति पद से हटने के बाद परवेज मुशर्रफ ने पाकिस्तान छोड़ दिया था और इसके बाद से वह ज्यादातर समय ब्रिटेन में रहे. इसी दौरान उन्होंने ऑल पाकिस्तान मुस्लिम लीग नाम की राजनीतिक पार्टी भी बना ली. हालांकि राजनीतिक समीक्षकों का कहना है कि चुनावों में इस पार्टी को गिनती की सीटें ही मिल पाएंगी.
मुशर्रफ पर पाकिस्तान में कई मुकदमे भी चल रहे हैं. उन्होंने लगभग नौ साल तक देश पर सैनिक शासन किया और इस दौरान उन पर पद के दुरुपयोग के आरोप भी लगे.
पाकिस्तान प्रमुख रहते हुए मुशर्रफ भले ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी पहचान बन गए हों, लेकिन जब वह पाकिस्तान लौटे, तो उनके स्वागत के लिए सिर्फ कुछ सौ लोग ही मौजूद थे. उन पर 2007 के बेनजीर भुट्टो हत्याकांड और 2006 के बलूच नेता अकबर बुगटी हत्याकांड में मुकदमा चल रहा है.
तालिबान ने धमकी दी है कि वह मुशर्रफ को मार देंगे. इस बात को ध्यान में रखते हुए उन्हें कराची में मुहम्मद अली जिन्ना की मजार पर भाषण नहीं देने दिया गया. मुशर्रफ का कहना है, "मैं अल्लाह को छोड़ कर किसी से नहीं डरता. मैं अपनी जान को खतरे में डाल कर लौटा हूं."
क्वेटा शहर में मुशर्रफ के खिलाफ रैली भी निकाली गई. देश का एक बहुत बड़ा हिस्सा उनसे इसलिए नाराज है क्योंकि वह अमेरिका के करीबी माने जाते हैं. न्यूयॉर्क में 9/11 वाले आतंकवादी हमले के बाद उन्होंने "आतंकवाद के खिलाफ युद्ध" में अमेरिका का साथ देने का फैसला किया था. उन पर तीन बार जानलेवा हमला भी हो चुका है.
मुशर्रफ ने पाकिस्तान में 1999 में रक्तहीन तख्ता पलट किया. बाद में वह राष्ट्रपति बन गए और 2008 तक पाकिस्तान में रहे. इस दौरान आसिफ अली जरदारी के नेतृत्व वाली पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी सत्ता में आ गई. इससे पहले जरदारी की पत्नी बेनजीर भुट्टो की हत्या भी हो गई. जरदारी का आरोप है कि हत्या के पीछे मुशर्रफ का हाथ है.
मुशर्रफ के आने के बाद कराची की सुरक्षा और बढ़ा दी गई है. हाल के दिनों में इस शहर में लगातार राजनीतिक हत्याएं हो रही हैं और शिया सुन्नी की जंग का असर भी दिख रहा है.
एजेए/एमजी (एएफपी)