पाक ने उलझाया भारत को विशेष दर्जा देने का मामला
३ नवम्बर २०११पाकिस्तान की सूचना मंत्री फिरदौस आशिक आवान ने बुधवार को इस्लामाबाद में एक प्रेस कांफ्रेस में कहा कि संघीय मंत्रिमंडल ने एकराय से भारत को सर्वाधिक वरीयता वाले देश का दर्जा देने के प्रस्ताव को मंजूर कर दिया. लेकिन शाम होते होते सरकार की ओर से जो बयान जारी किए गए उनमें सिर्फ इतना कहा गया कि कैबिनेट ने "व्यापारिक रिश्तों को सामान्य बनाने" के प्रस्ताव को मंजूर किया है.
बाद में आए सरकारी बयानों में इस बात का कहीं जिक्र नहीं है कि कैबिनेट ने वाणिज्य मंत्रालय के इस प्रस्ताव को हरी झंडी दिखा दी है कि भारत को सर्वाधिक वरीयता वाले देश का दर्जा दिया जाए. खास बात यह है कि आवान ने ये भी कहा कि भारत को विशेष दर्जा दिए जाने के मुद्दे पर सेना समेत सभी संबंधित पक्षों को विश्वास में लिया गया.
बयानों से फैला भ्रम
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक और आवान की प्रेस कांफ्रेस के बाद बुधवार रात को प्रधानमंत्री सचिवालय से एक बयान जारी किया गया जिसके मुताबिक, "कैबिनेट को भारत के साथ व्यापार सामान्य बनाने के लिए उठाए जा रहे कदमों पर जानकारी दी गई." भारत को सर्वाधिक वरीयता वाले देश का दर्जा दिए जाने का कोई जिक्र किए बिना बयान में आगे कहा गया कि दोनों पक्षों के बीच व्यापार को बढ़ाने के लिए आगे उठाए जाने वाले कदमों पर भी चर्चा हुई.
बयान के मुताबिक वाणिज्य मंत्रालय को निर्देश दिया गया है कि इस बात को सुनिश्चित किया जाए कि "पाकिस्तान के राष्ट्रीय आर्थिक हितों की रक्षा" हो. सरकार की ओर से कैबिनेट की बैठक पर जारी एक अन्य बयान में भी कहा गया है कि कैबिनेट ने भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापारिक रिश्तों को सामान्य बनाने के लिए कॉमर्स डिवीजन के प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है. बयान के मुताबिक वाणिज्य सचिव ने कैबिनेट बैठक में भारत के साथ व्यापार और इसके ऐतिहासिक परिदृश्य पर विस्तार से ब्यौरा दिया.
बुधवार रात प्रेस सूचना विभाग की वेबसाइट पर भी एक बयान दिया गया जिसे बाद में हटा लिया गया. इस बयान के मुताबिक कैबिनेट ने वाणिज्य मंत्रालय को निर्देश दिया कि सामान्यीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाए जिसकी परिणति में वास्तविक रूप से सर्वाधिक वरीयता के दर्जे वाले देश के सिद्धांत का पालन होगा.
भारतीय समाचार एजेंसी पीटीआई ने जब इस बारे में पाकिस्तानी वाणिज्य मंत्रालय के प्रवक्ता से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार किया. उन्होंने इतना ही कहा कि प्रेस सूचना विभाग की वेबसाइट पर लगे बयानों में सरकार के पक्ष को साफ कर दिया गया है.
"कहां हैं अड़चन"
भारत ने पाकिस्तान को 1996 में ही सर्वाधिक वरीयता वाले देश का दर्जा दे दिया लेकिन पाकिस्तान अब तक ऐसा नहीं कर पाया है. इसकी बड़ी वजह उद्योग जगत और कट्टरपंथी धार्मिक पार्टियों के विरोध को माना जाता है. उद्योग जगत को जहां अपने आर्थिक हित प्रभावित होने का खतरा सताता है, वहीं धार्मिक पार्टियां मानती हैं कि ऐसा करने से कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का रुख कमजोर होगा.
बुधवार को प्रेस कांफ्रेस में आवान ने कहा कि भारत को सर्वाधिक वरीयता वाले देश का दर्जा देने का कदम पाकिस्तान के राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रख कर उठाया गया है और इससे कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के रुख से कोई समझौता नहीं होगा.
हाल के दिनों में सर्वाधिक वरीयता वाले देश के दर्जे को लेकर बहुत चर्चा हुई है. इसकी एक वजह मालदीव में 10 से 11 नवंबर तक होने वाले सार्क शिखर सम्मेलन को भी माना जा रहा है जहां भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों की मुलाकात होनी है. पाकिस्तानी अखबार डॉन की खबर के मुताबिक भारत और पाकिस्तान के बीच 2009-10 में 1.4 अरब डॉलर का कारोबार हुआ. इसमें पाकिस्तान ने भारत से 1.2 अरब डॉलर का सामान खरीदा जबकि भारत ने पाकिस्तान से सिर्फ 26.8 करोड़ डॉलर का माल लिया. इससे पता चलता है कि भारत ने अब भी पाकिस्तानी माल के लिए अपने बाजार को पूरी तरह नहीं खोला है.
रिपोर्ट: डीपीए, पीटीआई/ए कुमार
संपादन: महेश झा