पुलिस विद्रोह: बांग्लादेश में 657 जवानों को सजा
२७ जून २०११अदालत द्वारा फैसला सुनाए जाने के बाद सरकारी वकील शाहनवाज टीपू ने कहा, "बांग्लादेश के इतिहास में यह फैसला अभूतपूर्व है, पहले कभी ऐसा नहीं हुआ कि इतने सारे लोगों को एक साथ सजा दी गई हो." बॉर्डर गार्ड की 24वीं बटालियन के 667 जवानों पर आरोप मढ़े गए थे. एक की मुकदमे के दौरान मौत हो गई, 9 को बरी कर दिया गया. 657 लोगों को जेल की सजा दी गई है जिनमें से 108 सबसे अधिक सात साल की कैद काटनी होगी.
33 घंटे तक चले विद्रोह के दौरान कम से कम 57 सेनाधिकारियों को जान से मार दिया गया था. बांग्लादेश राइफल्स बीडीआर के जवानों ने ढाका के मुख्यालय में विद्रोह कर अधिकारियों को मार डाला और उनकी लाशें कूंओं और नालों में फेंक दी. बाद में यह विद्रोह बीडीआर की दूसरी चौकियों में भी फैल गया और जवानों ने अपने अधिकारियों के खिलाफ बंदूक उठा ली.
विद्रोहियों पर मुकदमा चलाने के लिए मार्शल और सिविल कानून वाले दर्जनों विशेष अदालत गठित किए गए. इन अदालतों में अभियुक्तों को बचाव का अधिकार नहीं है. अदालत उन्हें अधिकतम 7 साल की कैद की सजा दे सकती है जिसके खिलाफ अपील नहीं की जा सकती है.
इस विद्रोह के बाद बीडीआर का नाम बदल कर बॉर्डर गार्ड्स बांग्लादेश बीजीबी कर दिया गया. हत्या, लूट और तोड़ फोड़ के आरोपों का सामना कर रहे जवानों के खिलाफ सिविल अदालतों में मुकदमा चलाया जा रहा है. उन्हें फांसी की सजा हो सकती है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा
संपादन: आभा एम