पेरु में वैम्पायर चमगादड़ों का कहर
१३ अगस्त २०१०पेरु के स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि अमेजन नदी के जंगलों में वैम्पायर चमगादड़ों का सफाया करने के लिए इमरजेंसी टीम भेज दी गई है. नदी किनारे बसे गांवों में चमगादड़ों ने सैकड़ों लोगों को अपना निशाना बनाया है. डॉक्टरों के मुताबिक इंसान का खून चूसने वाले इन चमगादड़ों में रेबीज का घातक वायरस है, जो सीधे दिमाग पर हमला कर रहा है.
स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि बीते छह महीनों में चमगादड़ों के हमलों में तेजी आई है. वह जंगल से निकलकर गांवों पर कहर बरपा रहे हैं. इस वजह से देश के उत्तरपूर्वी इलाके में शाम ढलते ही आतंक का माहौल पसर जा रहा है. उरकुसा गांव के लोगों ने रात में घर से बाहर निकलना बंद कर दिया है. अधिकारियों का कहना है कि 508 लोगों को अब तक एंटी रेबीज टीका दिया जा चुका है.
इलाके में टीका लगाने का अभियान चलाया जा रहा है. चमगादड़ों के हमले से अब तक चार बच्चों की मौत हो चुकी है. डॉक्टरों का कहना है कि इन बच्चों को दिमागी बीमारियां हो गईं थी. इसके लिए रेबीज को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. रेबीज सामान्यतया कुत्ते के काटने से फैलता है, लेकिन इन चमगादड़ों में भी यह वायरस मिला है. चमगादड़ों में मिला रेबीज का यह वायरस कुत्ते से कहीं ज्यादा घातक है.
चमगादड़ रात में सजग होते हैं. आवाज के सहारे उड़ने वाला यह पक्षी दुनिया के सबसे अचूक हमलावर पक्षियों में गिना जाता है. चमगादड़ों की आवाज सामान्यता इंसानों को नहीं सुनाई पड़ती है. उनकी आवाज बेहद हाई फ्रीक्वेंसी की होती है, जो लौटकर चमगादड़ों तक पहुंचती है. अलग अलग चीजों से टकराकर जब आवाज चमगादड़ों तक पहुंचती है तो वह हर चीज की सटीक स्थिति, दूरी और आकार का पता लगा लेते हैं.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह
संपादन: महेश झा