पोलियो से मुक्त हो रहा है भारत
१३ जनवरी २०१२भारत में पोलियो का आखरी मामला 13 जनवरी 2011 को दर्ज किया गया. उस के बाद से अब तक कोई नया मामला सामने नहीं आया है. उस समय पश्चिम बंगाल की एक अठारह महीने की बच्ची में पोलियो का वायरस पाया गया.
दुनिया भर में केवल चार ही ऐसे देश हैं जहां आज भी पोलियो का वायरस सक्रिय है. विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ द्वारा जारी की गई सूची के अनुसार भारत के अलावा पाकिस्तान, अफगानिस्तान और नाइजीरिया में आज भी पोलियो का खतरा बना हुआ है. इसके अलावा अब तक नाइजर और मिस्र भी इस सूची में शामिल हैं, लेकिन उन्हें फरवरी से हटा दिया जाएगा. स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद ने इस मौके पर दिल्ली में कहा, "हम इसे लेकर काफी उत्साहित हैं और आशान्वित भी. पर साथ ही हम सचेत और सतर्क भी हैं."
संयुक्त राष्ट्र ने भारत को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी है. पोलियो के मामलों पर नजर रखने वाली यूनिसेफ की एजेंसी के अध्यक्ष लीवेन डेसोमेर ने इस बारे में कहा, "भारत ने जो हासिल किया है वह एक अहम प्रक्रिया को पूरा करने में मील का पत्थर साबित होगा." डेसोमेर ने साथ ही यह भी कहा कि अब भी बहुत कुछ करना बाकी है, "अभी भी लम्बा रास्ता तय करना बाकी है, लेकिन यह गर्व की बात है." डेसोमेर ने यह भी कहा कि भारत की इस उपलब्धि से औरों को सीख मिल सकती है, "इस मील के पत्थर को हासिल करने से दुनिया भर में पोलियो को जड़ से मिटाने के लिए जो प्रयास चल रहे हैं, उन्हें और बढ़ावा मिलेगा."
दुनिया भर में पोलियो के कुल मामलों में आधे भारत में ही हैं. पोलियो को बीसवीं शताब्दी की सबसे खतरनाक बीमारी माना जाता रहा है. 1985 में भारत में पोलियो के डेढ़ लाख मामले थे. सरकार की पहल से इन में साल दर साल कमी आई. 1991 में यह संख्या गिरकर छह हजार तक पहुंच गई. फिर 2009 में 741 और 2010 में केवल 42 मामले दर्ज हुए. पोलियो के खिलाफ सरकार का "दो बूंद जिंदगी की" अभियान काफी सफल रहा. इस अभियान के तहत 23 लाख लोगों ने देश भर में घर घर जा कर बच्चों को पोलियो की 90 करोड़ खुराकें दीं. पिछले दस से पंद्रह सालों में भारत सरकार ने पोलियो को जड़ से मिटाने के लिए सौ अरब से अधिक रुपए खर्च किए हैं.
रिपोर्ट: एएफपी/ईशा भाटिया
संपादन: महेश झा