प्रणब मुखर्जी की लगार्द को शुभकामनाएं
२९ जून २०११लगार्द को अपने संदेश में मुखर्जी ने उन्हें अपनी शुभकामनाए दीं और कहा कि भारत उनके साथ काम करने को तत्पर है. अमेरिका की यात्रा कर रहे मुखर्जी ने इससे पहले अमेरिकी वित्त मंत्री टिमोथी गाइथनर से मुलाकात की थी और उनसे आईएमएफ प्रमुख को लेकर भारत की सोच से परिचित कराया था. भारत चाहता है कि आईएमएफ के प्रमुख को एक पारदर्शी प्रक्रिया द्वारा चुना जाए औऱ इस सिलसिलसे में किसी एक इलाके या एक देश को प्रमुखता न दी जाए. मुखर्जी के मुताबिक, "इस आधार पर हमें सर्वसम्मति बनाने की कोशिश करनी चाहिए."
मुखर्जी ने एक दिन पहले पैनल बातचीत में मंगलवार को कहा था कि आईएमएफ और विश्व बैंक जैसी संस्थाओं में सुधार लाने की जरूरत है. उन्होंने कहा, "मेरा मानना है कि जब संस्थाओं का गठन किसी एक संदर्भ में होता है और अगर यह संदर्भ कोई मायने नहीं रखे, तो इन संस्थाओं को सुधारने की जरूरत है.1945 से लेकर अब तक विश्व में कई बदलाव आए हैं. इन संस्थाओं की बनावट, इनकी आवाज और इनमें फैसले लेने की प्रक्रिया में हालांकि इस सच्चाई को देखा नहीं जा सकता." मुखर्जी ने पुराने गैट समझौते और ब्रेटन वुड्स संस्थाओं की बात की. ब्रेटन वुड्स की स्थापना के लगभग 30 साल बाद ही विश्व व्यापार संगठन डब्ल्यूटीओ की स्थापना हो पाई.
मुखर्जी ने साथ ही भारत की अर्थव्यवस्था के बारे में विश्लेषकों की चिंता दूर करने की कोशिश की. उनका कहना है कि भारतीय रिजर्व बैंक की महंगाई को नियंत्रण में लाने की कोशिश के बावजूद उन्हें विश्वास है कि भारत में इस साल आर्थिक विकास 8.5 प्रतिशत के करीब रहेगा.
रिपोर्टः पीटीआई/एमजी
संपादनः आभा एम