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५ जनवरी २०१२इस्तीफे से बचे, लेकिन विश्वसनीयता बनी क्या? अपने टेलीविजन इंटरव्यू में क्रिस्टियान वुल्फ ने दोनों हासिल करने की कोशिश की है. पहला लक्ष्य शायद पूरा हो गया. लेकिन दूसरा मुश्किल होगा. राष्ट्रपति का समर्थन कम होता जा रहा है. इसलिए भी उन्होंने ज्यादा जनता तक पहुंचने के लिए प्राइम टाइम में इंटरव्यू देने का फैसला किया. उन्होंने अपनी गलती मानी. घर खरीदने के लिए कर्ज लेने के मामले में अपने व्यवहार से उन्होंने राष्ट्रपति पद की सेवा नहीं की. इस मामले पर मीडिया को दी गई धमकी को उन्होंने पद की गरिमा के खिलाफ बताया.
दूसरे मुद्दों पर उन्होंने गलती स्वीकार नहीं की. मुख्यमंत्री रहते हुए कारोबारियों से अपने रिश्तों और उनके खर्च पर छुट्टी बिताने को राष्ट्रपति ने किसी तरह का फायदा मानने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि उन्होंने किसी कानून को नहीं तोड़ा है. वुल्फ ने नम्रता दिखाई और अपनी गलतियों को मानवीय भूल समझने की अपील की. लेकिन मामले में, बयान में और आकलन में कुछ भी नया नहीं था.
20 मिनट के टेलीविजन इंटरव्यू में साफ जवाब नहीं मिले हैं. क्या क्रिस्टियान वुल्फ में इतना माद्दा है कि वह पद को और नुकसान पहुंचने से रोक पाएं. और क्या उनकी पद से वही उम्मीदें हैं जो उन लोगों की है जिनका वे राष्ट्रपति के रूप में प्रतिनिधित्व करते हैं? इसमें संदेह है. क्योंकि जो लोग उनके पद पर बने रहने का समर्थन करते हैं, उन्हें भी उम्मीद थी कि वह अपनी ज्यादा आलोचना करेंगे. एक ऐसे व्यक्ति से जो सार्वजनिक रूप से कहता है, "जो अपने देश के ऊपरी तबके में शामिल होना चाहता है, उसे बिना किसी हिचक के आदर्श होना चाहिए और जिम्मेदारी उठानी चाहिए."
वुल्फ के सार्वजनिक रूप से सामने आने के बाद अब उम्मीद है कि वे देश के सबसे ऊंचे पद की खास जिम्मेदारी को स्वीकार करेंगे और उसे नैतिक और प्रतिनधि सत्ता तथा आदर्श के रूप में दक्षता के साथ निभाएंगे. जर्मन राष्ट्रपति का मुख्यालय विला वेलेव्यू सीखने की सही जगह नहीं है. वे खुद कहते हैं कि वे इस प्रक्रिया को पूरा करना चाहते हैं. देश का सर्वोच्च पद उस व्यक्ति से प्रभावित होता है, जो उस पद पर होता है. उसकी ईमानदारी और विश्वसनीयता के जरिए. इन पर वुल्फ को और काम करना होगा, उनका इंटरव्यू तो शुरुआत भर है. देश की जनता सही में यह उम्मीद करती है कि जो बेहतर है सच्चाई नाम की किताब लिखता है , वह वैसा ही दिखे और वैसा ही जिए. और जो खुद को ईमानदार पारिवारिक व्यक्ति और नागरिक के रूप में पेश करता है, वह वैसा ही बर्ताव करे. यह बात पेशेवर नेता माने जाने वाले वुल्फ को किसी और से बेहतर पता होनी चाहिए.
इसलिए उनकी गलतियां और चकित करती हैं. यह बेशर्मी थी या मासूमियत कि उन्होंने नेता के रूप में अपने निजी कर्ज के बारे में थोड़ी थोड़ी जानकारी दी? कि उन्होंने पत्रकारों को धमकी दी, रिपोर्टों को रोकने की कोशिश की और उसे सुनने के लिए आंसरिंग मशीन पर छोड़ा?
यह वैसा ही है, जैसा कि वुल्फ ने खुद कुछ महीने पहले कहा था, "जो ऊपरी तबके का है और जिसके पास जिम्मेदारी है, उसे खुद बनाई गई समांतर दुनिया में छिप नहीं जाना चाहिए." राष्ट्रपति के लिए यह खास तौर पर लागू होता है. इसलिए वे भले ही इसे बेतुका कहें, लेकिन इस इंटरव्यू के बाद भी वे ऐसे राष्ट्रपति हैं जिनके सर पर से तलवार हटी नहीं है.
लेख: ऊटे शेफर/मझा
संपादन: ए जमाल