फाइनल मैच के कुछ यादगार पल
२ अप्रैल २०११टॉस
इस मैच में टॉस दो बार हुआ. पहली बार जब धोनी ने सिक्का उछाला तो संगकारा और उनके बीच में कुछ गलतफहमी हो गई. समझ में नहीं आया कि किसने क्या मांगा. फिर रेफरी ने टॉस दोबारा कराया. इस बार संगकारा जीते और उन्होंने बैटिंग चुनी.
भारत की पारी
पहले ओवर की दूसरी गेंद
लसित मलिंगा की इस गेंद ने पता नहीं कितनी धड़कनें रोक दी होंगी. गेंद सीधी सहवाग से पांव से टकराई. और सहवाग आउट.
सातवें ओवर की पहली गेंद
यह थी दिल तोड़ने वाली गेंद. मलिंगा की इस गेंद ने सचिन को मैदान के ही बाहर भेज दिया. सचिन के वर्ल्ड कप की यह आखिरी गेंद साबित हुई. उनका सौवां शतक भी नहीं बना.
42वें ओवर की तीसरी गेंद
फिर एक दिल तोड़ू गेंद. गंभीर 97 रन पर थे. अपने शतक से सिर्फ तीन रन दूर. और परेरा ने उन्हें आउट कर दिया.
44वें ओवर की पहली गेंद
मजा आ गया. धोनी ने परेरा को क्या छक्का मारा. वानखेड़े स्टेडियम तो पागल हो उठा. भारत की जीत की यह पहली हुंकार थी.
49वें ओवर की तीसरी गेंद
यह गेंद आने वाले दशकों तक याद रखी जाएगी. कुलसेकरा की इस गेंद पर धोनी पर धोनी ने छक्का मारकर इतिहास रचा. भारत दूसरी बार वर्ल्ड चैंपियन बना.
श्रीलंका की पारी
छठे ओवर की पहली गेंद
श्रीशांत और जहीर ने गेंदबाजी की बढ़िया शुरुआत की थी. पहले पांच ओवरों में सिर्फ 17 रन बने थे. लेकिन दर्शकों को इंतजार था विकेट का. और यह इंतजार खत्म हुआ छठे ओवर की पहली ही गेंद पर. जहीर खान ने उपुल थरंगा को गेंद फेंकी. इस पर वीरेंद्र सहवाग ने स्लिप पर खूबसूरत कैच पकड़ा और भारत को उसका पहला विकेट मिला.
17वें ओवर की तीसरी गेंद
हरभजन सिंह की इस खूबसूरत गेंद ने दिल जीत लिया. भज्जी की यह गेंद दिलशान के करीब से होती हुई विकेटों में जा घुसी. दिलशान के पास और कोई रास्ता नहीं था, सीधे पैविलियन जाने के अलावा.
39वें ओवर की पहली गेंद
युवराज सिंह की यह गेंद बेहद अहम साबित हुई. समरवीरा तब खतरनाक साबित हो रहे थे. लेकिन युवी की एक गेंद पर टांग अड़ा बैठे और आउट हो गए. वह रहते तो स्कोर कुछ और ही होता.
48वें ओवर की पहली गेंद
जहीर खान की इस गेंद पर कुलसेकरा ने बेहतरीन छक्का जमाया. 87 मीटर दूर गिरी गेंद इस मैच में पहली बार ही उड़ती हुई बाउंड्री के पार गई थी.
श्रीलंका की पारी की आखिरी गेंद
परेरा ने पारी बहुत शानदार तरीके से खत्म किया. उन्होंने जहीर खान की गेंद को डीप स्क्वेयर लेग पर बाउंड्री पार भेजकर कहा, अब इसकी जरूरत नहीं.
संकलनः वी कुमार
संपादनः एन रंजन