फिल्म समीक्षकों पर निशाना साधते बिग बी
२ जुलाई २०११बिग बी ने कहा कि फैन क्लब्स, ट्विटर, फेसबुक और इस तरह की वेबसाइटों से बुड्ढा होगा तेरा बाप (बीएचटीबी) को जो प्रचार मिला है, उसे मान्यता देनी चाहिए. उन्होंने कहा, "धन्यवाद, और मेरा हार्दिक धन्यवाद हर उस व्यक्ति के लिए जिसने अपने फर्ज से कहीं आगे बढ़कर इस फिल्म के साथ एकजुटता दिखाई है." बीएचटीबी का निर्देशन पुरी जगन्नाथ ने किया है. फिल्म में बिग बी के अलावा हेमा मालिनी, सोनू सूद, रवीना टंडन और सोनल चौहान भी शामिल हैं.
फिल्म देखों, समीक्षा नहीं
फिल्म इस शुक्रवार को रिलीज हुई. दर्शकों की प्रतिक्रिया को सराहते हुए अमिताभ बच्चन ने कहा, "मेरे लिए दर्शकों की प्रतिक्रिया फिल्म की गुणवत्ता का सबसे बड़ा मापदंड है. कई सारे समीक्षक होते हैं, कुछ अपनी तरह के और कुछ जो और लोगों के लिए काम करते हैं. ये लोग व्यापक जानकारी के जरिए बताने की कोशिश करते हैं कि कोई फिल्म क्यों नहीं चलती, उनका भविष्य कैसा होगा. और क्योंकि यह मापदंड रखते हैं या इनकी राय बाजार पर नियंत्रण करती है, उनका बहुत सम्मान होता है."
बिग बी का कहना है कि फिल्म उद्योग 100 साल का हो चुका है और इसमें कई सारे कलाकार और निर्माता हैं और अगर कुछ एक लोग फिल्म की किस्मत पर फैसला करते हैं, तो यह सही नहीं है. उनको हैरान करने वाली बात यह लगती है कि दो, तीन या फिर तीस लोगों के पास एक अरब लोगों की पसंद का विश्लेषण करने की क्षमता है. इसलिए बिग बी को दर्शकों की प्रतिक्रिया सबसे जरूरी लगती है. "मेरे लिए लोग और जनता व्यापार का मार्गदर्शक हैं. वे हमें बनाते हैं या खत्म कर देते हैं. वे हमारा काम देखने के लिए पैसे खर्च करते हैं और इसलिए अगर कोई भी फैसले को लेकर मैं उनको अपनी सहमति देता हूं."
क्या बिग बी निराश हैं
फिल्म जानकारों के मुताबिक बीएचटीबी को मुंबई में 15 से 20 की ओपनिंग मिली है. हो सकता है कि बिग बी फिल्म की शुरुआती असफलता से खुश नहीं हों. इसलिए वे अब टीवी चैनलों पर अपना निशाना साध रहे हैं. कहते हैं, "एक जाना माना टीवी चैनल जो एक मशहूर एंकर के साथ फिल्म की समीक्षा करती है और उसे 1.5 स्टार देती है, तो वह फिल्म के लिए बिलकुल अच्छा नहीं है...लेकिन फिल्म फिर सफल हो जाती है और बॉक्स ऑफिस के सारे रिकॉर्ड तोड़ देती है. तो फिर समीक्षा कहां, एंकर कहां.." टीवी एंकरों की कड़ी आलोचना कर रहे बिग बी कहते हैं कि अगर किसी भी व्यक्ति को फिल्म पर अंतिम राय देने की ताकत दी जाए, तो फिर कभी न कभी उन्हें अपनी बात वापस लेनी पड़ती है. कहते हैं, "लेकिन क्या उनकी निष्पक्षता पर सवाल नहीं उठता अगर यह बात तय हो सके कि एक समीक्षा से किसी भी फिल्म की बाजार में सफलता पर असर पड़ सकता है?"
रिपोर्टः पीटीआई/एमजी
संपादनः एस गौड़