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फेसबुक पर चेहरा कहां छुपाऊं

१० जून २०११

फेसबुक पर 'ऑटोमैटिक फेशियल रेकगनिशन फीचर' विवाद का केंद्र बन गया है. इस फीचर से फेसबुक खुद ही इस बात का पता लगा सकता है कि कौन सी तस्वीर किस व्यक्ति की है. डेटा प्राइवसी के लिहाज से इसे गलत बताया जा रहा है.

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Auf der Facebook-Seite des Nationalspielers Cacau sind seine Fotoeinträge zu sehen (Foto vom 30.06.2010). Philipp Lahm hat sich vor der WM noch ein Eis gegönnt, Arne Friedrich in Südafrika einen Löwen gestreichelt und Cacau war im Cockpit des Riesenflugzeugs A380. Woher Fans das alles wissen? Aus dem Internet, wo die Spieler eifrig selbst geknipste Fotos hochladen und ihre WM-Erlebnisse dokumentieren. Foto: Jonas Güttler dpa/lnw (zu KORR: "«Grüße nach Deutschland, euer Mesut»: Spieler berichten online von WM" vom 30.06.2010) +++(c) dpa - Bildfunk+++
तस्वीर: dpa

'टैग सजेशन' नाम के इस फीचर में जब आप कोई नई तस्वीर फेसबुक पर डालेंगे तो साइट अपने आप ही यह पता लगा लेगी कि उस तस्वीर में कौन कौन लोग हैं. इन लोगों के नाम तस्वीर पर 'टैग' हो जाएंगे, यानी तस्वीर देखते समय आप नाम भी देख सकते हैं. जानकारों का मानना है कि फेसबुक ने यह फीचर बगैर यूजर्स से पूछे ही सक्रिय कर दिया. लोगों की जानकारी के बिना ही उनके नाम तस्वीरों के साथ जुड़ कर इंटरनेट पर दिख रहे हैं.

फीचर की होगी जांच

इस फीचर को फेसबुक पर पहली बार दिसंबर में इस्तेमाल किया गया. तब इसकी काफी आलोचना हुई. इसी सप्ताह फेसबुक ने इसे कई देशों में सक्रिय किया. यूरोप में इसे इंटरनेट पर सुरक्षा से जोड़ कर देखा जा रहा है और इसे इंटरनेट यूजर्स के हक के खिलाफ बताया जा रहा है. खास तौर से जर्मनी में इसे लेकर बहुत नाराजगी है. डेटा सुरक्षा को लेकर जर्मनी में लोग इसलिए ज्यादा संवेदनशील हैं क्योंकि हिटलर के शासन काल में और भूतपूर्व पूर्व जर्मनी में यहां लोगों पर कड़ी नजर रखी जाती थी और सरकार के पास लोगों की सारी जानकारी हुआ करती थी.

ILLUSTRATION - Die Schatten von Jugendlichen mit einem Laptop sind vor dem Schriftzug des sozialen Internet-Netzwerks Facebook zu sehen, aufgenommen in Straubing (Archivbild vom 26.04.2010). E-Mail, Chat, SMS: Das Soziale Netzwerk Facebook will die verschiedenen digitalen Kommunikationswege auf seiner Online-Plattform zusammenführen. Nutzer sollen mit ihren Kontakten wie auch Nicht-Mitgliedern über alle Kanäle und Endgeräte kommunizieren können. Die Nachrichten laufen alle in einem Postfach ein. Das neue System werde schrittweise allen Nutzern zur Verfügung gestellt, teilte das Unternehmen am Montag (15.11.2010) in San Francisco mit. Foto: Armin Weigel dpa/lrs +++(c) dpa - Bildfunk+++
तस्वीर: picture alliance / dpa

जर्मनी में इंटरनेट सुरक्षा के संघीय आयुक्त पेटर शार ने डॉयचे वेले को भेजे एक ई मेल में लिखा, "एक बार फिर फेसबुक ने बगैर लोगों से पूछे अपने सुरक्षा पैमानों को बदल दिया है. फेसबुक का यह कदम यूरोपीय और जर्मन इंटरनेट डेटा सुरक्षा कानून से मेल नहीं खाता." यूरोपीय संघ ने कहा है कि फेसबुक के इस नए फीचर की जांच की जाएगी. वहीं ब्रिटेन और आयरलैंड ने कहा है कि उन्होंने इस मामले की जांच शुरू कर दी है. फेसबुक के एक प्रवक्ता ने अपनी सफाई में कहा, "अगर किसी कारण कोई चाहता है कि उसका नाम ना दर्शाया जाए तो वह सेटिंग्स बदल सकता है... हमें फीचर शुरू करते समय लोगों को इस बारे में बेहतर तरह से सूचित करना चाहिए था."

क्या है फेशियल रिकगनिशन

फेशियल रिकगनिशन कंप्यूटर की दुनिया का कोई नया फीचर नहीं है. आम तौर पर लोग घरों में भी अपने कंप्यूटर पर ऐसे सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करते हैं जिनकी मदद से वे अपनी तस्वीरों को छांट सकें. यदि आप के पास सौ तसवीरें हैं और आप उनमें से केवल अपनी तसवीरें छांटना चाहते हैं तो आपको घंटों कंप्यूटर के आगे बैठने की जरूरत नहीं है. इस सॉफ्टवेयर की मदद से आप मिनटों में अपनी तसवीरें अलग कर सकते हैं.

फेसबुक ने इसी तकनीक का इस्तेमाल किया है. अब तक यदि आप तस्वीरों को 'टैग' करना चाहते थे तो आप को यह खुद ही करना पड़ता था, लेकिन अब यह खुद ब खुद ही हो जाता है. फेसबुक का कहना है कि यूजर्स की मांग थी कि इस तरह का फीचर लाया जाए क्योंकि तसवीरें 'टैग' करने में आम तौर पर बहुत समय लगता है.

रिपोर्ट: काइली जेम्स/ईशा भाटिया

संपादन: आभा एम

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