'बदलाव और परिवर्तन का वक्त आया है'
१६ जुलाई २०१२अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने यरुशलम में इस्राएल के राष्ट्रपति शिमोन पेरेज से मुलाकात के बाद कहा कि इस्राएल और अमेरिका को मध्यपूर्व में आ रहे बदलावों का सामना करने के लिए साथ मिल कर काम करने पर जरूर सोचना चाहिए. मिस्र के नेताओं से दो दिन मुलाकात करने के बाद क्लिंटन यरुशलम पहुंची हैं. उन्होंने मौजूदा समय को, "इलाके के लिए बड़े बदलाव और परिवर्तन का वक्त," बताया. ईरान के परमाणु कार्यक्रम, सीरिया और मिस्र में अस्थिरता के बारे में पूछे सवाल के जवाब में अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा, "यह अनिश्चितता से भरा वक्त है, लेकिन बहुत से मौकों का भी. यह एक अवसर है जब हम सुरक्षा, स्थिरता, शांति और लोकतंत्र के अपने उद्देश्यों की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं." क्लिंटन ने कहा कि यह वह समय है जब हमें साथ मिल कर सोचना और साथ कदम बढ़ाना होगा.
नौ देशों के 13 दिवसीय दौरे में आखिरी पड़ाव पर यरुशलम पहुंची हिलेरी क्लिंटन ने सोमवार को पहले इस्राएली विदेश मंत्री आविग्दोर लीबरमान से मुलाकात की. क्लिंटन ने राष्ट्रपति और विदेश मंत्री को काहिरा में मिस्र के नए राष्ट्रपति मोहम्मद मुरसी और सेना प्रमुख फील्ड मार्शल हुसैन तंतावी से हुई बातचीत का ब्यौरा भी दिया. राष्ट्रपति पेरेस ने इस्राएल और मिस्र के नए नेताओं के बीच शांति की कोशिशों के लिए क्लिंटन को धन्यवाद दिया. पेरेस ने कहा, "हम इस बात से बेहद खुश हैं कि आप मिस्र के तुरंत बाद अपने ताजा विचारों के साथ इस्राएल आईं क्योंकि हमारे लिए और अमेरिका के लिए भी मध्यपूर्व के देशों में मिस्र सबसे अहम है. शांति के मार्ग पर चल पाना बहुत कुछ मिस्र पर और थोड़ा बहुत हम पर निर्भर करता है. इस्राएल सबसे बड़े अरब देश के साथ शांति बनाए रखना चाहता है."
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उनके देश के वरिष्ठ राजनयिक इस्राएल के साथ अरब जगत में हुए बड़े बदलावों के बाद विस्तार से बातचीत करना चाहते थे. इस अधिकारी ने यह भी कहा कि क्लिंटन इस्राएली नेताओं को सीरिया में खूनखराबा रोकने के लिए कूटनीतिक उपायों को तेज करने पर भी रजामंद कर लेंगी. क्लिंटन ने इस्राएली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और रक्षा मंत्री एहुद बराक से भी मुलाकात की.
क्लिंटन ने बताया कि काहिरा में मिस्र के नेताओं ने यह साफ किया है कि वे इस्रायल के साथ हुए शांति समझौते का समर्थन करते हैं. मिस्र अरब जगत का पहला देश था जिसने इस्राएल के साथ समझौता किया. दोनों देशों के बीच 1979 में ही समझौता हो गया. मुस्लिम ब्रदरहुड के बीच से उभरे मुरसी के मिस्र के पहले लोकतांत्रिक राष्ट्रपति चुने जाने के बाद यह आशंका मजबूत हो रही थी कि वे इस्राएल के साथ शांति समझौते की शर्तें दोबारा तय कर सकते हैं. शिमोन पेरेस ने इस बारे में कहा, "मुझे लगता है कि पिछले 30 सालों के दौरान मिस्र और हमारे बीच की शांति ने दोनों देशों के लाखों युवाओं की जिंदगी बचाई है."
क्लिंटन ने इस दौरान फलिस्तीनी प्रधानमंत्री सलाम फय्याद से भी मुलाकात की. दौरे के शुरूआत में ही 6 जुलाई को उन्होंने फ्रांस में फलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास से मुलाकात की थी. इस्राएल और फलिस्तीन के बीच सीधी बातचीत सितंबर 2010 से ही बंद है. दोनों देशों को साथ लाने की अमेरिकी कोशिश अभी तक कामयाब नहीं हो सकी हैं. फलिस्तीन मांग कर रहा है कि इस्राएल उस जमीन पर निर्माण का काम बंद करे जो उन्हें भविष्य में अपने राज्य के लिए चाहिए और सीमा के बारे में बातचीत के लिए रूपरेखा तय कर दे, लेकिन इस्राएल बिना शर्त बातचीत शुरू करने की जिद पर अड़ा है.
एनआर/एमजी (एपी, एएफपी)