बाय बाय से बचा बायर्न
१४ मार्च २०१३अपने ही मैदान पर खराब खेल दिखाने के बाद बायर्न म्यूनिख के कोच युप हाइंकस ने कहा है कि टीम को इस हार से सीख लेनी चाहिए. तीन हफ्ते पहले आर्सेनल के खिलाफ फर्स्ट लेग के मैच में म्यूनिख की 3-1 से जीत हुई थी. बुधवार को म्यूनिख में खेले दूसरे मैच में मेजबान 0-2 से हार गए. हालांकि गोल अंतर के लिहाज से म्यूनिख को आगे जाने की हरी झंडी तो मिल गई है लेकिन ऐसे खेल से टीम कितना लंबा रास्ता तय कर सकेगी, यह कहना मुश्किल है. कोच कहते हैं, "मुझे कहना होगा कि मेरे खिलाड़ी यहां से पिट कर निकल रहे हैं. मुझे लगता है कि मुझे यूरोपीय फुटबॉल के बारे में पता है. यूरोपीय कपों के दौरान डेढ़ सौ मैचों में कोच होने के नाते मैंने अपने खिलाड़ियों को चेतावनी दी थी."
म्यूनिख ने पहला गोल तीसरे और दूसरा गोल 86वें मिनट में खाया. टीम अगर एक गोल और खा जाती तो चैंपियंस लीग से बाहर हो जाती. आर्सेनल का भी खेल बहुत बढ़िया नहीं था. टीम ने खूब फाउल खेले. आखिरी लम्हों में तो ऐसा लगने लगा जैसे दो दिग्गज टीमें नहीं बल्कि स्कूली बच्चे फुटबॉल खेल रहे हों.
मैच शुरू होते ही गोल करने वाले ओलिवियर गिरोड ने आर्सेनल की प्रेरित तो किया, लेकिन दूसरे गोल के लिए टीम को लंबा इंतजार करना पड़ा. हाइंकेस कहते हैं, "यहीं हमें बचाना था. पहले तीन मिनटों में ही बढ़त हासिल करना, गोल करने वाली टीम के लिए स्थिति आसान और दूसरी टीम के लिए मुश्किल बना देता है."
86वें मिनट में लॉरां कोस्येनी का गोल आर्सेनल को क्वार्टर फाइनल में पहुंचाने के लिए काफी नहीं था लेकिन कम से कम पहली लेग में हार का सम्मानजनक जवाब तो था ही. हाइंकेस के मुताबिक, "मैंने आर्सेनल के बारे में पहले ही चेतावनी दे दी थी. इस खेल को लेकर उत्साह का कोई मतलब नहीं है."
जर्मन फुटबॉल लीग बुंडेसलीगा में 20 अंकों के साथ बायर्न टॉप पर हैं और जर्मन कप की भी फेवरेट टीम है. लेकिन चैंपियंस लीग के मैच में उनका यह क्लास नहीं दिखाई दिया. "आर्सेनल हमसे अच्छे थे. उनके पास गोल के ज्यादा मौके नहीं थे लेकिन उन्होंने दबाव बनाए रखा. हम 90 मिनट में एक भी बार खेल को अपने नियंत्रण में नहीं ला सके."
हाइंकेस के मुताबिक मिडफील्डर बास्टियान श्वाइनश्टाइगर की अनुपस्थिति, चोटिल फ्रांक रिबेरी का न होना इतना निर्णायक नहीं था. "आप एक दिन कहें कि आपके पास बड़ी टीम है और फिर कहें कि आप उसे दूसरे खिलाड़ियों से बदल नहीं सकते. ऐसा संभव नहीं. हमें ऐसे मैचों से सीखना चाहिए और समझना चाहिए कि बवेरिया भी कभी हार सकता है. कोई प्रतिद्वंद्वी आसान नहीं होता. अगले दौर में जाने के लिए यह एक सबक होना चाहिए."
आर्सेनल के बाहर होने के साथ ही इस बार चैंपियंस लीग में इंग्लैंड की कोई टीम नहीं होगी. 1996 के बाद पहली बार ऐसा हो रहा है.
एएम/ओएसजे (डीपीए, एएफपी)