बेलआउट पैकेज पर मतभेद कायम
२१ अक्टूबर २०११जर्मन सरकार के प्रवक्ता श्टेफान जाइबर्ट ने कहा कि जर्मन नजरिए से ऐसे समाधान का सवाल ही नहीं उठता, लेकिन उन्होंने फ्रांस के साथ मतभेद को कमतर करने की कोशिश की है. जर्मनी में सरकारी रुख के समन्वय के लिए सत्ताधारी मोर्चे की भी बैठक हो रही है, क्योंकि किसी भी समाधान को जर्मन संसंद की मंजूरी भी चाहिए. सत्ताधारी मोर्चे के दल एफडीपी के संसदीय दल के नेता राइनर ब्रुइडर्ले ने भी कहा है, "बैंक लाइसेंस हमारे लिए विचार का मुद्दा नहीं है."
यूरो वित्त मंत्रियों की बैठक
ब्रसेल्स में यूरो जोन के 17 देशों के वित्त मंत्री बेल आउट पैकेज को और धारदार बनाने पर अपने मतभेदों को दूर करने के लिए विचार कर रहे हैं. जर्मन सरकार यूरो बचाव कोष ईएफएसएफ को बैंक लाइसेंस देने के बदले कर्ज संकट से बाहर निकलने के लिए बीमा समाधान सुझा रही है. इसके जरिए निजी निवेशक संकट में पड़े देशों के सरकारी बॉन्ड खरीद पाएंगे. उस देश के दिवालिया हो जाने की स्थिति में कोष को नुकसान का एक हिस्सा भरना होगा.
ईएफएसएफ के प्रभाव को बढ़ाने के लिए और उसके आकार से ज्यादा मदद पहुंचा सकने के लिए बचाव कोष पर अंतिम फैसला सप्ताहांत में ब्रसेल्स में यूरोपीय नेताओं की शिखर भेंट में लिया जाएगा. लेकिन गुरुवार को ही संकेत मिले थे कि जर्मनी और फ्रांस के बीच मतभेदों के चलते शिखर सम्मेलन के दौरान अंतिम सहमति नहीं हो पाएगी, इसलिए बुधवार को एक और शिखर सम्मेलन करने की योजना है.
जर्मनी में संसद की भागीदारी पर बहस
जर्मन सरकार के प्रवक्ता जाइबर्ट का कहना है कि फ्रांस के साथ कोई आधारभूत असहमति नहीं है. उनका कहना है कि बचाव कोष के नियोजित दिशानिर्देशों को विस्तार से तैयार नहीं किया जा सका है, इसलिए उस पर जर्मन संसद की बजट कमिटी कोई फैसला नहीं कर सकती. और बजट कमेटी के फैसले के बिना जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल यूरोपीय स्तर पर कोई सहमति नहीं दे सकती.
जर्मनी में यूरोपीय फैसलों में संसदीय भागीदारी पर भी नई बहस छिड़ गई है. संसद ने ग्रीन पार्टी का यह आवेदन ठुकरा दिया कि बचाव कोष के मसौदे को बजट कमेटी के बदले पूरी संसद में पास कराया जाना चाहिए.सत्ताधारी सीडीयू के संसदीय दल के नेता फोल्कर काउडर ने कहा कि संसद में इस पर वोट की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि 211 अरब यूरो की गारंटी की सीमा बदली नहीं जा रही है.
विपक्षी एसपीडी संसदीय दस के नेता फ्रांक-वाल्टर श्टाइनमायर ने इससे असहमत होते हुए कहा, "सवाल सिर्फ गारंटी की ऊपरी सीमा का नहीं है बल्कि उसकी वजह से पैदा होने वाले जोखिम का भी." उन्होंने कहा कि यदि नए दिशा निर्देशों से उसमें वृद्धि होती है तो उस पर फैसला करना बुंडेसटाग की जिम्मेदारी है. सीडीयू के सांसद वोल्फगांग बोसबाख ने भी सरकारी की लाइन से असहमति जताते हुए कहा है कि यदि जोखिम बढ़ता है तो यह वैध सवाल है कि क्या पूरी संसद को उस पर फैसला करना चाहिए.
रिपोर्ट: एएफपी,एपी/महेश झा
संपादन: ओ सिंह