बॉलीवुड से प्रेम ने शोहरत दी पर छीन ली नौकरी
७ दिसम्बर २०११संगीत के साथ 26 साल के कामारू का सफर ज्यादा पुराना नहीं है. बॉलीवुड के गाने उन्हें पसंद तो थे ही बाद में उन्हीं गानों की धुन अपने बोल बिठा कर गाने लगे. यूट्यूब, फेसबुक और ट्विटर जैसी सोशल नेटवर्किंग साइटों ने उन्हें इंडोनेशिया के युवाओं के बीच लोकप्रिय बना दिया. शोहरत बढ़ी तो मीडिया ने भी उन्हें भुनाया और जल्दी ही वो टॉक शो और टीवी के दूसरे कार्यक्रमों में बुलाए जाने लगे. देखते ही देखते पुलिस का अदना सा सिपाही शोहरत और असर के मामले में अपने ही अफसरों पर भारी पड़ने लगा. जहां उनकी तैनाती होती लोग उनका ऑटोग्राफ मांगने पहुंच जाते और इनमें लड़कियों की भी एक बड़ी तादाद रहने लगी.
कामारू सिपाही की वर्दी पहन कर ही संगीत कार्यक्रमों में भी शरीक होते और टेलीविजन पर भी. उनकी इस कोशिश से लोगों के बीच पुलिसवालों के बीच नई और उदार छवि बनने लगी. ज्यादातर देशों की तरह यहां भी लोग पुलिस से बच कर ही रहना चाहते हैं. पर गीत सुनाते कामारू से लोगों ने डरना छोड़ कर स्नेह करना शुरू कर दिया. पुलिस महकमे को लगा कि उनकी यह छवि विभाग के काम आ सकती है और तब उनकी इस कोशिश को विभाग की भी तारीफ मिलने लगी.
इंडोनेशिया की जिस पुलिस महकमे से नॉर्मन कामारु को अब निकाल दिया गया है कुछ दिन पहले तक वहीं उसे स्टार की तरह देखा जा रहा था. यहां तक कि खुद पुलिस प्रमुख ने उसे सुदूर गोरोन्तालो की पुलिस पोस्ट से राजधानी बुलाकर मुलाकात भी की. तब पुलिस महकमे को कामारू में अपनी बदनाम छवि से बाहर निकलने का जरिया दिख रहा था. पर अब उसकी नौकरी छीन ली गई है.
हालांकि गलती विभाग की भी नहीं है कामारू खुद यह नौकरी छोड़ कर गायकी की दुनिया में पूरी तरह से रम जाना चाहते है और अब तो उनके पास करार भी है. उसने महकमे से खुद ही निकल जाने की मांग की थी लेकिन विभाग उसे छोड़ने को तैयार नहीं था. जब दो महीने तक लगातार वो काम पर नहीं आया तब उसे बर्खास्त कर दिया गया. पुलिस की प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल लिस्मा डुंगियो ने कहा, "वो अपने आप को समझता क्या है? उसे सिर्फ इस वर्दी की वजह से शोहरत मिली है." वैसे कामारू खुश हैं. उन्होंने अपनी जीभ में छेद भी करवा लिया है. नौकरी से निकाले जाने के बाद उन्होंने कहा कि कड़क खाकी वर्दी से निजात पाकर पहुत खुश हूं. टीवी स्टूडियो में घुसने के लिए जीन्स और जैकेट पहन कर तैयार कामारू ने कहा, "मुझे हमेशा एक दायरे में रहना पड़ता था, मैं इस तरह के कपड़े पहन कर आजाद महसूस करता हूं."
कामारू ने ठान लिया है कि अब संगीत की राह पर ही आगे बढ़ना है और इसमें नाकामी मिले तो भी कोई परवाह नहीं, कहते हैं, "यहां बहुत नौकरियां हैं, मैं तो कभी भी मोटरसाइकिल टैक्सी बन सकता हूं."
रिपोर्टः एपी/डीपीए/एन रंजन
संपादनः ओ सिंह