ब्रिटेन के बिना संधि करेंगे यूरोजोन के देश
९ दिसम्बर २०११यूरोपीय नेताओं ने संघ की संधि में संशोधन के बदले यूरोजोन के सदस्यों के बीच संधि का फैसला किया. आज इस संधि का मसौदा तय किया जाएगा. शुक्रवार सुबह सभी 27 देशों के बीच समझौते की संभावना तब समाप्त हो गई जब जर्मनी और फ्रांस ने ब्रिटेन की रियायतों की मांग ठुकरा दी. जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने कहा है कि शिखर भेंट के फैसले से यूरो जोन की साख और बढ़ेगी. "मैंने हमेशा कहा है कि यूरो जोन के 17 देशों को साख वापस जीतने की जरूरत है. और मैं समझती हूं कि आज के फैसले से यह हो सकता है, यह होगा."
शुक्रवार सुबह तक चली बैठक में यूरो जोन के 17 देश बजट अनुशासन पर संधि करने की जर्मनी और फ्रांस की मांग पर सहमत हो गए. इसमें कर्ज लेने पर रोक और भारी कर्ज लेने वालों पर स्वतः जुर्माने का प्रावधान है. यूरो जोन के देशों के अलावा छह अन्य देशों ने भी इस बातचीत में भाग लिया. यूरोपीय संघ के अध्यक्ष हरमन फान रोमपॉय के अनुसार मार्च तक यह काम पूरा हो जाएगा. स्वीडन और चेक गणतंत्र को इसमें भागीदारी के लिए मतादेश लेना है जबकि ब्रिटेन और हंगरी इसमें भागीदारी से इनकार कर रहे हैं.
जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल और फ्रांसीसी राष्ट्रपति निकोला सारकोजी ने शुरू में नई संधि के लिए सभी 27 देशों की सहमति की मांग की थी. इसका लक्ष्य यूरोपीय देशों के संकट प्रबंधन के लिए व्यापक विश्वसनीयता पाना था. लेकिन घरेलू मोर्चे पर यूरो विरोधियों का दबाव झेल रहे ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने पहले ही साफ कर दिया था कि लंदन से हां कहलवाना बहुत मुश्किल होगा. उन्होंने बदले में घरेलू वित्तीय बाजार के नियमन के लिए विशेष अधिकारों की मांग की थी.
निकोला सारकोजी ने बैठक के बाद कैमरन की मांग को अस्वीकार्य बताया. सारकोजी ने कहा, "हमने 27 की सहमति को प्राथमिकता दी होती, लेकिन हमारे ब्रिटिश दोस्तों के रुख के चलते यह संभव नहीं था." इसके विपरीत कैमरन ने कहा, "यदि हमें गारंटी नहीं मिलती है तो बेहतर है कि हम बाहर रहें." अपने इनकार को ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने "कड़ा लेकिन अच्छा फैसला" बताया.
वार्ता में भाग लेने वाले राजनयिकों का कहा कहना है कि कैमरन के साथ बहस में कई कठोर क्षण दिखे. ब्रिटेन ने पिछले महीनों में यूरो संकट के प्रबंधन की बार बार आलोचना की है. संधि के बदलाव पर नया विवाद और तनाव पैदा कर सकता है. दूसरी ओर यह भी साफ नहीं है कि यूरो जोन के फैसले को किस तरह से लागू किया जाएगा. चूंकि अब संघ की संधि में संशोधन संभव नहीं है, नई संधि में भाग लेने वाले देश पारस्परिक संधि करने पर विचार कर रहे हैं.
जर्मन चांसलर ने शिखर भेंट में अपनी यह मांग भी मनवा ली कि यूरो देशों का साझा बांड यूरो बांड जारी नहीं किया जाएगा. कर्ज संकट का फौरी मुकाबला करने के लिए यूरोपीय संघ के देश अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के लिए 200 अरब यूरो की रकम मुहैया कराएंगे. इसके अलावा भावी यूरो बचाव कोष इएसएम 2013 के बदले 2012 के मध्य तक लागू हो जाएगा. फान रोमपॉय ने कहा है कि भविष्य में ग्रीस की तरह कर्ज माफी में गैर सरकारी बैंकों को शामिल नहीं किया जाएगा. इसकी वजह उसके कारण बाजार में पैदा असुरक्षा है.
रिपोर्ट: एएफपी, डीपीए/महेश झा
संपादन: ओ सिंह