ब्लैकबेरी विवाद में मध्यस्थता नहीं: अमेरिका
१४ अगस्त २०१०अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा, ''हम अपने विदेशी साथियों के संपर्क में हैं. भारत के साथ विवाद सुलझाने की जिम्मेदारी सीधे रिसर्च इन मोशन की है.'' इससे पहले अमेरिका ने ब्लैकबेरी के साथ खड़े होने के संकेत दिए थे. राष्ट्रपति ओबामा से लेकर विदेश मंत्रालय तक सूचनाओं के बाधारहित प्रवाह की वकालत कर रहे थे. लेकिन अब मामला पलट गया है.
भारत और ब्लैकबेरी के बीच सुरक्षा संबंधी चिंताओं को लेकर गतिरोध बरकरार है. शुक्रवार को गृह सचिव जीके पिल्लई और ब्लैकबेरी के शीर्ष अधिकारियों की मुलाकात भी हुई. सूत्रों के मुताबिक इस मुलाकात में भारत ने ब्लैकबेरी को फिर अपनी सुरक्षा संबंधी चिंताएं बताई और कहा कि कंपनी को नई दिल्ली के संदेह दूर करने ही होंगे. मुलाकात के बाद ब्लैकबेरी बनाने वाली कंपनी रिसर्च इन मोशन के उपाध्यक्ष रॉबर्ट क्रोव ने कहा, ''गतिरोध दूर होगा, मैं आशावादी हूं.''
सुरक्षा संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिए भारत को तकनीकी हल मुहैया कराने का वचन दिया गया है. सरकार का कहना है कि पहले इस तकनीकी हल की जांच की जाएगी. देखा जाएगा कि यह संतोषजनक है या नहीं. भारत में ब्लैकबेरी के 11 लाख ग्राहक हैं. बीते छह महीनों में ही यह संख्या तेजी से बढ़ी है. लेकिन विवाद सामने आने के बाद ब्लैकबेरी की सेल ब्लैकलिस्ट की ओर बढ़ रही है. इस विवाद के चलते बीते 15 दिनों में ही भारत में कंपनी को अच्छा खासा नुकसान हो चुका है.
ब्लैकबेरी को बड़ा झटका भारत में मोबाइल सर्विस देने वाली कंपनियों ने भी दिया है. भारती एयरटेल की सबसे बड़ी मोबाइल सर्विस कंपनी भारती सरकार के साथ खड़ी नजर आ रही है. एयरटेल के दक्षिण एशिया प्रमुख संजय कपूर ने कहा, ''राष्ट्रीय सुरक्षा के सवाल पर हम सरकार के साथ खड़े हैं. हमें उम्मीद है कि ग्राहकों के हितों की भी सुरक्षा होगी.''
रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह
संपादन: महेश झा