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ब्लैकबेरी को लेकर भारत सरकार ने फैसला टाला

१२ अगस्त २०१०

भारत ने ब्लैकबेरी फोन बनाने वाली कंपनी आरआईएम से कहा है कि अगर 31 अगस्त तक वह सुरक्षा नियमों को मानने के लिए तैयार नहीं होगा, तो भारत में उसके ईमेल और मेसेजिंग सेवाओं को बंद कर दिया जाएगा.

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तस्वीर: dpa

गृह मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि अगर 31 अगस्त तक कंपनी तकनीकी उपाय नहीं पेश करती तो सरकार ब्लैकबेरी से भेजे जा रहे ईमेल और मेसेंजर सेवाओं को नेटवर्क से ब्लॉक कर देगी. कनाडा की कंपनी आरआईएम से अब तक कोई बयान नहीं आया है.

सरकार की मांग है कि ब्लैकबेरी के संदेश एक ऐसे फॉर्मैट में होने चाहिएं जिसे सुरक्षा एजेंसियां आसानी से पढ़ सकें. इस वक्त जो सेवा मौजूद है उसका आतंकवादी संगठन इस्तेमाल कर सकते हैं जो देश के लिए खतरनाक है. भारत में ब्लैकबेरी सेवाएं उपलब्ध कराने वाली कंपनियां एयरटेल और वोडाफोन को कानूनी तौर पर भारत सरकार को सुरक्षा संबंधित जानकारी देनी होती है. इसके तहत सुरक्षा एजेंसियां उनके नेटवर्क में हर सेवा पर नजर रख सकती हैं.

ब्लैकबेरी फोन पर ईमेल और मेसेजिंग किया जा सकता है और इन सेवाओं को ब्लैकबेरी सरवर से नियंत्रित किया जाता है. सामान्य ईमेल सरवर इन संदेशों को पढ़ नहीं सकते क्योंकि ब्लैकबेरी का सरवर इन्हें एन्क्रिप्ट कर देता है, यानी इसे एक ऐसा रूप दे देता है जिसे समझने के लिए कोड को पहले सुलझाना होता है.

कंपनी का कहना है कि ईमेल और मेसेंजिंग में ग्राहक अपना कोड खुद बनाते हैं जिसके बारे में कंपनी को भी जानकारी नहीं होती. आरआईएम का मानना है कि यह ब्लैकबेरी की खासियत है और इस मुद्दे पर समझौता करने से कंपनी की छवि पर असर पड़ेगा. हालांकि ब्लैकबेरी कई देशों की सुरक्षा एजेंसियों को इन कोड की जानकारी मुहैया करा रही है. आरआईएम को अगर भारत सरकार की शर्तें मंजूर नहीं होंगी तो उसे देश में मेसेजिंग और ईमेल सेवाएं बंद करनी पडेंगी. इससे भारत में ब्लैकबेरी इस्तेमाल कर रहे 10 लाख लोगों पर असर पड़ेगा.

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तस्वीर: AP

भारतीय गृह सचिव ने आंतरिक सुरक्षा के सिलसिले में खुफिया एजेंसियों के प्रमुखों और टेलिकॉम सेवा कंपनियों बीएसएनएल और एमटीएनएल के प्रतिनिधियों से बात की. बैठक में केवल सरकारी कंपनियों के प्रतिनिधि थे. निजी कंपनियों के बारे में पूछे जाने पर बताया गया कि सरकार सबसे पहले ब्लैकबेरी के मामले से निबटना चाहती है.

भारत के अलावा सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात में ब्लैकबेरी सेवाओं से सरकारों को परेशानी हुई थी. जर्मनी के कई मंत्रालयों ने अपने अधिकारियों को ब्लैकबैरी इस्तेमाल करने से प्रतिबंधित कर दिया है. यूरोपीय संघ में भी ब्लैकबेरी के बजाय एपल आई फोन और एचटीसी स्मार्टफोन इस्तेमाल किए जाते हैं. भारत सरकार के फैसले के बाद आरआईएम के शेयरों में भी गिरावट आई है.

रिपोर्टः एजेंसियां/एम गोपालकृष्णन

संपादनः एन रंजन

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