भगवान के लिए पेड़ मत काटो
१ नवम्बर २०१२बिहार में यह अभियान सितंबर से चल रहा है. सड़क किनारे पेड़ों पर दर्जनों कलाकार चित्रकारी कर रहे हैं. वैसे तो मधुबनी चित्रकला की खासियत है कि इसमें फल और फूलों से रंग निकाल कर हाथ से, लकड़ी की तीली से या रुई से उनका इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन यहां इस कला का थोड़ा आधुनिकरण भी हो गया है. पेंट ब्रश और कृत्रिम रंगों को भी इस्तेमाल किया जा रहा है. अभियान शुरू करने वाले षष्ठीनाथ झा इसकी वजह बताते हैं, "रंग कितनी देर तक टिक पाएंगे यह जानने के लिए मैंने कई प्रयोग कर के देखे. आखिरकार हमने यह निर्णय लिया कि हम वनस्पति और कृत्रिम रंगों को मिलाकर इस्तेमाल करेंगे ताकि बदलते मौसम के बावजूद ये चित्र खराब ना हो सकें."
लेकिन पेड़ों पर देवी देवताओं की तस्वीरें बनाने का विचार झा को कहां से आया इस बारे में वह बताते हैं, "हम देवताओं को कवच की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं. हमने सोचा कि जब लोग पेड़ों पर देवी देवताओं के चित्र देखेंगे तो वे उन्हें किसी भी तरह नुकसान नहीं पहुंचा पाएंगे."
बिहार में लगातार बाढ़ का खतरा बना रहता है. वन विभाग के अनुसार राज्य का केवल सात फीसदी हिस्सा ही जंगलों से घिरा है. ऐसे में पेड़ों को बचाना अहम हो जाता है. झा बताते हैं कि अभियान के बारे में लोगों को समझाना काफी मुश्किल काम रहा. पेंट की कीमत और उसके टिकाऊ होने पर भी सवाल उठे, "मुझे लोगों को बहुत समझाना पड़ा, लेकिन आखिरकार वे मान ही गए."
कई पेड़ों पर रामायण और महाभारत के चित्र दिख जाएंगे. तो कहीं एक महिला कुल्हाड़ी पकड़े आदमी को पेड़ काटने से रोकती हुई भी दिखेगी. चित्र बनाने करने वाली 19 साल की खुशबू का कहना है, "मैंने पेड़ पर सीता के स्वयंवर का चित्र बनाया है ताकि लोग इसे देख कर पेड़ काटने का इरादा छोड़ दें."
झा बताते हैं कि इस अभियान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान भी अपनी ओर खींचा है. हाल ही में स्विट्जरलैंड की एक टीम यहां यह समझने के लिए पहुंची कि किस तरह से कला लोगों तक संदेश पहुंचाने में मददगार साबित हो सकती है.
बिहार सरकार ने राज्य में 25 करोड़ नए पेड़ पौधे लगाने की घोषणा भी की है. इन्हें अगले पांच साल के दौरान बिहार में लगाया जाएगा. यानी झा की टीम के लिए अब और काम आ गया है. इस काम को वह अपनी जिम्मेदारी बताते हुए कहते हैं, "पेड़ पौधों ने हमारे जीवन में रंग भरे हैं. अब हमारी बारी है उनमें रंग भरने की."
आईबी/एएम (रॉयटर्स)