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भारत और यूरोप में साइबर सुरक्षा संधि

११ दिसम्बर २०१०

विकीलीक्स खुलासों के बाद साइबर हमलों के बीच भारत और यूरोप ने इस दिशा में अहम समझौता किया है. 11वें भारत-ईयू शिखर बैठक के दौरान साइबर सुरक्षा सहित अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर संयुक्त घोषणापत्र जारी किया गया.

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हरमन फैन रोम्पॉय के साथ मनमोहनतस्वीर: AP

हाल के दिनों में साइबर हमलों को भी आतंकवाद से जोड़ कर देखा जा रहा है और दोनों पक्षों का मानना है कि इस पर काबू करना बहुत जरूरी है.

आतंकवाद के अंतरराष्ट्रीय खतरे को देखते हुए भारत और यूरोपीय संघ मिल कर काम करने पर राजी हो गए हैं. घोषणापत्र में साइबर सुरक्षा के अलावा रिसर्च और तकनीक में भी नजदीकी सहयोग पर सहमति बनी.

यूरोपीय काउंसिल के अध्यक्ष हरमन फैन रोम्पॉय और यूरोपीय कमीशन के अध्यक्ष खोसे मानुअल बारोसो से मुलाकात के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा, “हमने राजनीतिक और सुरक्षा के क्षेत्र में ज्यादा सहयोग की संभावना पर चर्चा की. इसके अलावा पाइरेसी जैसे गैरपरंपरागत सुरक्षा खतरों पर भी मिल कर काम करने की संभावना है.”

यूरोप में हाल के दिनों में मुंबई के 26/11 वाले तर्ज पर आतंकवादी हमले का अंदेशा बढ़ा है और इसे देखते हुए सीमा सुरक्षा को चौकस करने का फैसला किया गया. दोनों पक्ष मान गए हैं कि पहचान पत्र और सुरक्षा दस्तावेज जारी करने में अधिक सख्ती और सावधानी बरती जाएगी ताकि आतंकवादी तत्वों की खुली आवाजाही पर रोक लगाई जा सके. यूरोप के 25 देशों में एक ही वीजा से आया जाया जा सकता है. इसलिए यहां सुरक्षा की मामूली चूक से बड़े हादसे की आशंका बनी रहती है.

Terror in Mumbai
आतंकवाद पर दोनों सख्ततस्वीर: AP

सुरक्षा और आतंकवाद के बीच पाकिस्तान और अफगानिस्तान का मुद्दा भी उठा. प्रधानमंत्री सिंह ने कहा, “हम इस बात पर एकमत हैं कि अफगानिस्तान की सुरक्षा अफगान नागरिकों के साथ साथ पूरे इलाके के लिए जरूरी है.”

भारत और यूरोपीय संघ चाहते हैं कि आतंकवादियों की वित्तीय और रणनीतिक संसाधनों की पहुंच पर भी अंकुश लगाया जाए. घोषणापत्र में इसका जिक्र है. यूरोप के कुछ देश काले धन और गैरकानूनी पैसे सुरक्षित रखने के लिए बदनाम हैं और कुछ देशों पर आतंकवादियों को वित्तीय मदद देने के भी आरोप लगते हैं. ऐसे में इस मुद्दे पर बनी सहमति अहम मानी जा रही है.

भारत और 27 देशों वाला यूरोपीय संघ प्रत्यर्पण संधि के भी बहुत करीब आ गया है. दोनों पक्ष एक दूसरे को अभी से ज्यादा कानूनी सहायता देने पर राजी हो गए हैं.

पाकिस्तान का नाम लिए बगैर घोषणापत्र में सभी देशों से अपील की गई है कि वे किसी देश को आतंकवादियों की सुरक्षित पनाहगाह न बनने दें और ऐसे किसी गढ़ को उखाड़ फेंकने में सहयोग करें.

घोषणापत्र जारी होने के बाद यूरोपीय काउंसिल के अध्यक्ष हरमन फैन रोम्पॉय ने कहा, “आतंकवाद सिर्फ भारत की नहीं, बल्कि यूरोपीय संघ की भी समस्या है. आप देखिए कि लंदन में क्या हुआ. आप देखिए कि मैड्रिड में क्या हुआ. इसलिए यह घोषणापत्र एक साझी रणनीति है और इसके जरिए हम दुनिया भर को संदेश देना चाहते हैं कि वे आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में हमारे साथ जुड़ें.”

दोनों पक्षों ने आतंकवाद पर काबू पाने के लिए राजनीतिक वार्ता पर जोर दिया और संयुक्त राष्ट्र की तर्ज पर बहुस्तरीय सहयोग व्यवस्था बनाने पर बल दिया.

रिपोर्टः अनवर जे अशरफ, ब्रसेल्स

संपादनः ओ सिंह

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