भारत को तेज विकास दर की उम्मीद
१२ मार्च २०१२राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने सोमवार को संसद के बजट सत्र का उद्घाटन करते हुए कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था का आधार मजबूत है और सरकार को उम्मीद है कि देश जल्द ही 8 से 9 प्रतिशत विकास दर पर वापस आ जाएगा. 31 मार्च को खत्म होने वाले वित्तीय वर्ष में विकास दर 6.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है जो 2008 में वित्तीय संकट की शुरुआत के बाद से सबसे कम है.
एशिया की तीसरी सबसे अर्थव्यवस्था का विकास पिछले दशक में 9 प्रतिशत से ज्यादा की दर से होता रहा था, लेकिन वैश्विक वित्तीय संकट और देश के अंदर वित्तीय घोटालों के सामने आने के बाद से विकास दर धीमी हुई है. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार ने अप्रैल 2012 से शुरू होने वाली अगली पंचवर्षीय योजना में 9 प्रतिशत विकास दर पाने का लक्ष्य रखा है. विशेषज्ञों का कहना है कि सवा अरब आबादी वाले देश में गरीबी को नीचे लाने के लिए 9 से 10 प्रतिशत विकास दर जरूरी है.
सोमवार को सरकार के उत्साह को इससे बल मिला कि जनवरी में औद्योगिक उत्पादन अप्रत्याशित रूप से एक साल पहले के मुकाबले 6.8 प्रतिशत ज्यादा रहा. विश्लेषकों ने सिर्फ 2.1 प्रतिशत विकास की बात कही थी. वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि चार साल के उच्चतम ब्याज दर और धीमे वैश्विक बाजार के बावजूद उत्पादन में भारी वृद्धि हुई है. नए आंकड़ों के अनुसार कारों की बिक्री में भी वृद्धि हुई है. 2011 की मंदी के बाद फरवरी में कारों की बिक्री 13.1 प्रतिशत बढ़ी है. लेकिन विश्लेषकों ने उतार चढ़ाव वाले बाजार में मासिक आंकड़े से कोई नतीजा न निकालने की चेतावनी दी है.
राष्ट्रपति ने संसद के संयुक्त अधिवेशन का उद्घाटन करते हुए कहा कि सरकार देश भर में लेवी को एक जैसा बनाने के लिए सामान और सेवा टैक्स लाएगी जिसका लंबे समय से इंतजार है. इससे सामानों की आवाजाही में आसानी होगी. यह टैक्स सरकार के महत्वपूर्ण सुधारों में शामिल है लेकिन उसे संसद में दो तिहाई बहुमत और आधे प्रांतों से पास कराने की जरूरत है. राष्ट्रपति ने विवादास्पद भू अधिग्रहण कानून बनाने की भी घोषणा की जो ढांचागत निवेश के लिए जरूरी शर्त है.
राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में रिटेल को विदेशी निवेशकों के लिए खोलने जैसे विवादास्पद सुधारों का जिक्र नहीं किया और लोगों को जीवन यापन सुरक्षा देने की प्रतिबद्धता पर जोर दिया. अपने वर्तमान कार्यकाल के अंतिम संबोधन में राष्ट्रपति ने संसद में पेश कई बिलों को गिनाते हुए कहा कि इनमें भ्रष्टाचार को रोकने और शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ाने की क्षमता है.
वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी शुक्रवार को अगले साल का बजट पेश करेंगे. आम तौर पर केंद्रीय बजट फरवरी में पेश किया जाता है लेकिन इस साल पांच प्रांतों में हुए चुनाव के कारण संसद के अधिवेशन को चुनाव परिणामों की घोषणा होने तक रोक दिया गया था.
रिपोर्टः एएफपी,पीटीआई/महेश झा
संपादनः एन रंजन