भारत पर ऑस्ट्रेलिया का पलड़ा भारी
२४ मार्च २०११क्रिकेट की दुनिया की दो सबसे खूंखार और मजबूत टीमें एक दूसरे के सामने होंगी. पहले और दूसरे नंबर की टीमें मुकाबला करेंगी लेकिन सबको पता है कि पहले नंबर वाली टीम दूसरे नंबर वाली से कोसों आगे है.
यह सच है कि क्रिकेट में ऑस्ट्रेलिया की बादशाहत को अगर किसी ने चुनौती दी है तो वह सिर्फ भारत है. यह भी सच है कि टेस्ट मैचों में भारत आगे निकल गया लगता है लेकिन एक सच यह भी है कि ऑस्ट्रेलिया को वनडे में पछाड़ पाना फिलहाल किसी भी टीम के बस की बात नहीं.
पेशेवर टीम ऑस्ट्रेलिया
पाकिस्तान से मिली एक हार को आधार नहीं बनाया जा सकता क्योंकि अव्वल तो भारत पाकिस्तान नहीं, और दूसरा कि क्वार्टर फाइनल का मुकाबला कोई लीग मैच नहीं. बड़े मुकाबलों में पोंटिंग की टीम हमेशा संयम और कुशलता से खेलती आई है. उसके पास बेमिसाल क्रिकेटरों के साथ बेहतरीन मैच रणनीति होती है और वह पूरे पेशेवराना ढंग से क्रिकेट खेलती है.
भारत एक इमोशनल टीम है, जिसका धागा सचिन तेंदुलकर के आस पास बंधा रहता है और उस विकेट के गिरने के साथ धागा टूट जाता है. हो सकता है कि हाल के सालों में इसमें थोड़ा बदलाव आया हो लेकिन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ क्वार्टर फाइनल जैसे अहम मैच में इसकी बानगी फिर दिख सकती है.
आंकडे़ भारत के खिलाफ
इन सबसे अलग भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच अब तक कुल 104 मैच खेले गए हैं, जिनमें 61 में ऑस्ट्रेलिया ने जीत हासिल की है जबकि भारत सिर्फ 35 मैच जीत पाया है. जहां तक वर्ल्ड कप के मैचों की बात है तो हाल के जो मैच ध्यान में आते हैं, उनमें 1992 के एक मुश्किल मैच में भारत एक रन से हार गया था. उसके बाद दोनों टीमें 2003 वर्ल्ड कप के फाइनल में भिड़ीं जहां ऑस्ट्रेलिया ने सौरव गांगुली की टीम इंडिया को धूल चटा दी थी. ऑस्ट्रेलिया के 359 के जवाब में भारत की टीम 234 पर आउट हो गई थी.
इस वर्ल्ड कप में भी भारत सिर्फ कमजोर टीमों से जीत पाया है, जबकि वह दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड को नहीं हरा पाया. इस दौरान बल्लेबाजी की खामियां खुलकर सामने आईं, जब कभी 29 रनों के अंतर पर 9 विकेट गिरे तो कभी 50 पर 7.
हालांकि शुरुआती बल्लेबाजों ने भारत को हमेशा बेहतरीन स्टार्ट दिया है और सचिन तेंदुलकर, वीरेंद्र सहवाग, गौतम गंभीर, युवराज सिंह लगातार अच्छी बल्लेबाजी कर रहे हैं. पर निचले क्रम के बल्लेबाजों और गेंदबाजों का कोई सहयोग नहीं मिल रहा है. आमतौर पर मैच जिताने में सबसे बड़ा योगदान गेंदबाजों का ही होता है.
पोंटिंग का प्रहार
दूसरी तरफ ऑस्ट्रेलिया की पारी सिर्फ एक बार ढही है जिसका खामियाजा उसे पाकिस्तान से हार के रूप में चुकाना पड़ा है. बल्लेबाज अच्छे फॉर्म में हैं. कप्तान पोंटिंग अब तक नहीं चल पाए हैं लेकिन कह चुके हैं कि उन्होंने अपनी सर्वश्रेष्ठ पारी भारत के लिए सुरक्षित रखी है. 2003 वर्ल्ड कप फाइनल में भी उन्होंने भारत के खिलाफ 140 रन बनाए थे.
गेंदबाजों में मिचेल जॉनसन, ब्रेट ली, शॉन टेट और क्रेजा का नाम भर लेने से समझ आ जाती है कि सामने वाली टीम के बल्लेबाजों को कितनी मेहनत करनी पड़ेगी. दूसरी तरफ धोनी के पास अच्छे गेंदबाज के रूप में सिर्फ जहीर खान हैं. बाकी मुनाफ, आउट ऑफ फॉर्म भज्जी, अश्विन और नेहरा वगैरह से काम चलाना पड़ता है. सामने ऑस्ट्रेलिया की मजबूत टीम होगी तो इस आक्रमण के हाल का अंदाजा लगाया जा सकता है.
जहां तक अहमदाबाद के सरदार पटेल ग्राउंड की बात है तो यह एक आदर्श विकेट है और बल्लेबाजों के अलावा गेंदबाजों के लिए भी यहां बहुत कुछ पाने को है. मैच दिन रात का होगा, लिहाजा पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम को नैसर्गिक और कृत्रिम रोशनी के बीच सामंजस्य बनाना होगा. किसी आम मैच में टॉस जीतने वाली टीम बाद में बल्लेबाजी करना चाहती, लेकिन इस मैच में निश्चित तौर पर पहले बैटिंग करने वाली टीम को फायदा पहुंच सकता है.
रिपोर्टः अनवर जे अशरफ
संपादनः वी कुमार