भारत में जर्मनी का साल
२४ सितम्बर २०११इस मौके पर भारत के जानेमाने संगीतकार शिवमणि के साथ जर्मन संगीतकार क्रिस्टोफ हाबेरेर ने शुक्रवार शाम अपनी परफॉर्मेंस से भारत-जर्मन संबंधों के सुर और ताल को हजारों लोगों के सामने पेश किया.
क्या क्या होगा
इसके साथ ही 15 महीने तक चलने वाले कार्यक्रमों और समारोहों की शुरुआत हो गई है. इन 15 महीनों में भारत और जर्मनी के बीच 60 साल से चले आ रहे संबंधों की झलक दिखाने वाले कार्यक्रम पूरे भारत में आयोजित होंगे. इनमें सिर्फ सांस्कृति ही नहीं बल्कि अलग अलग विषयों पर होने वाले कार्यक्रम शामिल हैं. राजनीति, कारोबार, विज्ञान के अलावा शहरी जिंदगी और विकास से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर बात होग. इन समारोहों को जर्मनी और भारत 2011-2012: असीम संभावनाएं नाम दिया गया है.
आधार हैं सांस्कृति संबंधभारत में जर्मन वर्ष के उत्सवों में सबसे प्रमुख तो संस्कृति ही होगी. इस दौरान बहुत से जर्मन कलाकार भारत में लगभग एक दर्जन जगहों पर कार्यक्रम पेश करेंगे. डॉयच फिलहार्मनी और जर्मन फिल्म ऑर्केस्ट्रा बाबेल्सबेर्ग पूरे देश का दौरा करेंगे और ऑस्कर विजेता भारतीय संगीतकार ए आर रहमान की धुनें सुनाएंगे.
इस पूरी परियोजना में मोबाइल स्पेस का खूब जिक्र हो रहा है. मोबाइल स्पेस ऐसे पैवेलियन हैं जिन्हें कई तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है. इस पैवेलियन को जर्मन कलाकार मार्कस हाइन्सडोर्फ ने डिजाइन किया है. इस पैवेलियन में दोनों देशों की सबसे अच्छी स्टील और टेक्सटाइल टेक्नॉलजी पेश की जाएगी. यह प्रदर्शनी भारत के सात शहरों का दौरा करेगी.
एक खास प्रदर्शनी दोनों देशों के शहरों में तेजी से आ रहे बदलावों को दिखाएगी. सिटी स्पेसेज नाम की इस प्रदर्शनी में शहरीकरण के प्रभावों का दिखाया जाएगा. भारत में जर्मनी के राजदूत थोमास मातुसेक इस बारे में कहते हैं, "सिटी स्पेसेज में हम पानी और कचरे के प्रबंधन पर बात करेंगे. ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की चर्चा करेंगे. भारतीय दिमाग और जर्मन तकनीक मिलकर एक शानदार संयोग बनाते हैं. यह संयोग बेशकीमती नतीजे देगा."
नए क्षेत्र तलाशने का मौका
जर्मनी की अंतरराष्ट्रीय कंपनी सिमंस के अध्यक्ष और सीईओ पेटर लोएशेर कहते हैं कि 2030 तक 57 करोड़ भारतीय शहरों में रह रहे होंगे. यह यूरोप में रह रहे यूरोपियनों की कुल तादाद है. लोएशेर कहते हैं, "हम दोनों देशों के रिश्तों को बढ़ते हुए देखना चाहते हैं. हम चाहते हैं कि एक मजबूत साझेदारी बने."
इस मौके पर जर्मनी की विदेश राज्य मंत्री कोर्नेलिया पिएपेर भी मौजूद थीं. पिएपेर ने कहा कि आने वाले सालों में दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंध तेजी से आगे बढ़ेंगे. पिएपेर ने कहा, "भारत में जर्मन वर्ष 15 महीने का एक उत्सवभर नहीं है, यह सहयोग के नए क्षेत्र तलाशने का मौका भी है."
इस कार्यक्रम के लिए जर्मनी ने 1.3 करोड़ यूरो दिए हैं. और इसके बदले 2012-13 में जर्मनी में भारत का साल मनाया जाएगा.
यूरोपीय संघ में जर्मनी भारत का सबसे बड़ा व्यापार साझीदार है. एशिया से जर्मनी को निर्यात करने वाले देशों में भारत का नंबर सातवां है. और भारतीय निर्यातकों के लिए जर्मनी आठवां सबसे अहम पड़ाव है.
रिपोर्टः मुरली कृष्णन
संपादनः वी कुमार