भारत में विदेशी निवेश एक तिहाई गिरा
१ मार्च २०१२वैसे अप्रैल से लेकर दिसंबर तक के समय में यह रकम पिछले साल के मुकाबले 51 फीसदी बढ़ी है. 2010 में 16.03 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़ कर 24.18 अरब डॉलर पर पहुंच गई है. खासतौर से अप्रैल से जून वाली तिमाही में काफी ज्यादा पैसा भारत आया है. 2010-11 के वित्तीय साल में कुल 19.43 अरब अमेरिकी डॉलर से ज्यादा की रकम भारत में निवेश की गई. अप्रैल, मई और जून में भारत को 3.12 अरब, 4.66 अरब और 5.65 अरब अमेरिकी डॉलर की रकम विदेशी निवेश के रूप में मिली.
विश्लेषकों का कहना है कि मौजूदा वित्तीय साल में सीधा विदेशी निवेश 30 अरब डॉलर से ऊपर चला जाएगा. विदेशी मुद्रा बाजार में इससे रूपये की कीमत पर अच्छा असर पड़ने के आसार हैं. पिछले साल शेयर बाजार में विदेशी संस्थागत निवेशकों की लगातार बिकवाली और बढ़ते कारोबारी घाटे के कारण रूपये की कीमत 15 फीसदी नीचे चली गई.
आर्थिक जानकारों का कहना है कि दिसंबर 2011 में सीधे विदेशी निवेश में कमी आने के बावजूद यह 30 अरब डॉलर से ऊपर चला जाएगा हालांकि सरकार को निवेशकों का भरोसा बनाए रखने के लिए कदम उठाने होंगे.
पिछले नौ महीनों में सबसे ज्यादा विदेशी निवेश सेवा क्षेत्र में हुआ है, करीब 4.57 अरब डॉलर. इसके बाद फार्मास्यूटिकल्स की बारी आती है जिसमें कुल 3.19 अरब डॉलर की रकम विदेशों से आई. इन दोनों के बाद टेलिकॉम, निर्माण, मैटलर्जी और बिजली का नंबर आता है, जिनमें 1.98, 1.60, 1.49 और 1.44 अरब डॉलर का निवेश हुआ.
इस दौर में भारत में सबसे ज्यादा निवेश मॉरिशस से आया. इसके बाद सिंगापुर, जापान, ब्रिटेन, जर्मनी, नीदरलैंड्स और साइप्रस की बारी आती है. एक दिन पहले ही पता चला कि भारत में आर्थिक विकास की दर दिसंबर में खत्म हुई तिमाही में 6.1 फीसदी रही जो पिछले दो साल में सबसे कम है.
रिपोर्टः पीटीआई/ एन रंजन
संपादनः महेश झा