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भारत को पछाड़ चीन होगा सोने से मालामाल

१६ फ़रवरी २०१२

सोने के मामले में अब तक भारत दुनिया का सबसे बड़ा बाजार था. लेकिन इस साल ही चीन भारत को पीछे छोड़ देगा और दुनिया का सबसे बड़ा बाजार बन जाएगा. कमजोर रुपये के चलते भारतीय खरीद घट रही है.

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तस्वीर: FARS

इसके विपरीत चीन में बढ़ती आय के कारण सोने की मांग लगातार बढ़ रही है. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि पिछले साल चीनियों ने 2010 की तुलना में 20 फीसदी ज्यादा सोना खरीदा. उस साल चीन में 770 मीट्रिक टन सोना खरीदा गया था. इसके साथ चीन भारत के बाद दूसरे स्थान पर पहुंच गया है. भारत में 933 मीट्रिक टन सोना खरीदा गया है.

चीन में सोने की खरीद बढ़ने की कई वजहें हैं. एक तो चीन पूरी ताकत के साथ सोने के भंडार को बढ़ा रहा है. वह इस बीच सोने का सबसे बड़ा उत्पादक भी बन गया है. लेकिन चूंकि वह सोने को अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेच नहीं रहा है, सारा सोना वहीं रह जाता है.

Gold
तस्वीर: clabert - Fotolia.com

चीन की बढ़ती आय

इसके अलावा दुनिया की दूसरे सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में बढ़ती आय ने भी सोने की मांग को बढ़ाया है. कम ब्याज, भारी मुद्रास्फीति और मकानों की कीमत में क्रैश के डर से भी आम लोगों में सोने की मांग बढ़ रही है. सोने की छड़ों, सिक्कों और दूसरे उत्पादों की मांग इसलिए भी बढ़ रही है कि चीन में निवेश के दूसरे विकल्पों की कमी है.

बढ़ती आमदनी के कारण सोने के जेवर और अन्य लक्जरी उत्पादों की भी मांग बढ़ी है. 2011 की दूसरी छमाही में चीन सोने की ज्वेलरी के मामले में विश्व का सबसे बड़ा बाजार बन गया है.

विश्व भर में सोने के कारोबार में लगभग आधा फीसदी का इजाफा हुआ है. सोने की खरीद बढ़कर 4,0671 मीट्रिक टन हो गई है, जिसका मूल्य 205.5 अरब डॉलर है. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल ने कहा है कि संभावना है कि 2012 तक चीन विश्व का सबसे बड़ा सोना बाजार बन जाएगा. जहां तक तिमाही आंकड़ों का सवाल है तो 2011 की अंतिम तिमाही में चीन में 191 मीट्रिक टन सोना खरीदा गया जबकि भारत में सिर्फ 173 टन सोना खरीदा गया.

Krügerrand Gold Münze
तस्वीर: picture-alliance/ZB

रुपये की घटती कीमत

इस वजह से भी भारत में सोने के गहनों की मांग कम हो गई है. कमजोर रुपये ने सोने को महंगा बना दिया है. भारतीयों को पिछले साल भारी मुद्रास्फीति का भी सामना करना पड़ा जिसने उनकी आय का बड़ा हिस्सा खा लिया. इसकी वजह से वे ज्यादा सोना खरीद नहीं पाए.

कई विकासशील देशों के केंद्रीय बैंकों ने भी विदेशी मुद्रा भंडार को कम करने के लिए सोने की खरीद को बढ़ावा दिया है. पिछले साल उन्होंने 440 मीट्रिक टन सोना खरीदा जो एक साल पहले के मुकाबले 77 मीट्रिक टन ज्यादा था. पिछले महीनों में जारी वित्तीय संकट के बीच सोने की लगातार बढ़ती कीमतों ने भी निवेश के रूप में उसकी साख बढ़ाई है. पिछले साल अगस्त में उसकी 1892 डॉलर प्रति आउंस रिकॉर्ड कीमत हो गई थी. इस सप्ताह अप्रैल डिलीवरी के लिए सोने की कीमत 1728 डॉलर प्रति आउंस है.

रिपोर्ट: एपी/महेश झा

संपादन: ए जमाल

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