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भारत से कारोबार में रोड़ा बनता पाकः अफगानिस्तान

१० जुलाई २०११

अफगानिस्तान ने शनिवार को कहा कि भारत के साथ कारोबार और आवागमन के मामले में पाकिस्तान समस्या बन रहा है. अफगानिस्तान ने पाकिस्तान से इस समस्या का समाधान करने की अपील की है.

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Zu: Pakistanische Atomwaffen --- DW-Grafik: Peter Steinmetz 2009_05_04 Grenze Pakistan Afghanistan
तस्वीर: DW

पाकिस्तान की गतिविधियों को अपनी जमीन में 'बाहरी दखल' करार देते हुए अफगानिस्तान ने सार्क देशों से अफगान लोगों की समस्या सुलझाने के लिए खुले सहयोग की मांग की. अफगान संसद के निचले सदन वोलेसी जिरगा के अध्यक्ष अब्दुल रऊफ इब्राहिमी ने दिल्ली में सार्क देशों की संसद के सभापतियों के सम्मेलन में कहा, "मैं इस मौके पर आपको बताना चाहता हूं कि भारत और अफगानिस्तान और दुनिया के कुछ हिस्सों के साथ कारोबार और आवागमन में पाकिस्तान समस्या है और मैं उम्मीद करता हूं कि हमारे पाकिस्तानी दोस्त इस ओर गंभीरता से विचार करेंगे."

इब्राहिमी ने कहा कि मौजूदा परिस्थितियों में हमारे देश में जंग और बाहरी दखलंदाजी अब भी जारी है. उन्होंने कहा कि ये सीमावर्ती देशों की जिम्मेदारी है कि वे बीच में फंसे देश की अवहेलना न करें. इब्राहिमी ने कहा, "हमें इस संगठन में हमारे सभी संसदीय दोस्तों के खुले सहयोग की जरूरत है और उनके जरिए हम उन देशों की सरकारों से सीधे सीधे अफगान जनता की समस्याओं के समाधान के लिए कह सकते हैं. हमारा मानना है कि एक स्थायी, शांतिपूर्ण और आत्मनिर्भर अफगानिस्तान पूरे इलाके के लिए प्रभावशाली और फायदेमंद हो सकता है."

इब्राहिमी ने कहा कि अफगानिस्तान दक्षिण और मध्य एशिया के बीच है इसलिए ये देश अपने आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक फायदे के साथ कारोबार भी इस रास्ते के जरिए सुनिश्चित कर सकते हैं.

पाकिस्तान की नेशनल एसेंबली की सभापति फहमीदा मिर्जा ने ध्यान दिलाया कि ये कांफ्रेंस भारतीय संसद के केंद्रीय कक्ष में हो रही है. यह वह जगह है जहां मोहम्मद अली जिन्नाह, जवाहर लाल नेहरू, बाबा साहब अंबेडकर और फजलुल हक देश की आजादी के लिए लड़े थे. मिर्जा ने कहा, "उन महान नेताओं के साए में खड़े होकर सार्क देशों के बीच भाईचारे की वजह समझ में आ जाती है." मिर्जा ने कहा कि हजारों साल के हमारे साझा इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि सारे देश अब लोकतांत्रिक प्रक्रिया से चल रहे हैं.

ढाका में हुए 13वें सार्क सम्मेलन में तय विकास लक्ष्यों की याद दिलाते हुए मिर्जा ने कहा कि एक संसदीय समिति विकास के 22 लक्ष्यों की निगरानी कर देशों के बीच अनुभवों को बांटने, अच्छे तरीके अपनाने और संस्थाओं को जोड़ने का काम कर सकती है. फहमीदा मिर्जा ने उम्मीद जताई, "अगले साल जब हम सभी इस्लामाबाद में अपने संगठन के छठे सम्मेलन में मिलेंगे, तब इस एजेंडे को आगे बढ़ाने में सफल होंगे."

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः ए कुमार

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