मछली की आंख से इंसान की आंख का इलाज
११ जुलाई २०११विटब्रोड्ट का कहना है कि मछली की आंख मनुष्य की आंख से काफी मिलती जुलती है. हालांकि सबसे बड़ा अंतर यह है कि मछली की आंखें आजीवन बढ़ती रहती हैं जबकि मनुष्य की आंख उतनी ही रहती है.
कई मछलियों पर नजर
योआखिम विटब्रोड्ट 50 हजार से ज्यादा मछलियों पर नजर रखे हैं. उन्हें उम्मीद है कि उनके शोध से यह पता लग सकेगा कि मछली की आंख कैसे बनी है और उन्हें उम्मीद है कि इसके जरिए किसी दिन मनुष्य की आंख में भी वह हिस्से फिर से बनाए जा सकेंगे जो किसी कारण क्षतिग्रस्त हो गए हैं. वह कहते हैं, "मछली एकदम आदर्श है. उन्हें काफी संख्या में रखा जा सकता है और उनकी आंखे इंसानों की ही तरह होती हैं. हम जांच कर रहे हैं कि क्या मछली की आंख भी रिपेयर हो जाती है. इस जांच से ऑप्थेल्मॉलॉजी को फायदा हो सकता है जैसे कि रेटिना को नुकसान पहुंचने के मामले में." मनुष्य की आंख में दो तरह की कोषिकाएं होती हैं जो फिर से बन सकती हैं.
विटब्रॉड्ट और उनके साथियों ने यूनिवर्सिटी में विशेष माइक्रोस्कोप भी बनाए हैं जो मछली के अंडे में विकास पर नजर रख सकता है एक कोषिका से लेकर पूरी मछली बनने की प्रक्रिया के दौरान.
अपने आप
यूरोपीय मॉलिक्यूलर बायोलॉजी लेबोरेटरी (ईएमबीएल) से जुड़े शोधकर्ताओं इसके बाद विकास पर नजर रखने के लिए कंप्यूटिंग तकनीक का इस्तेमाल करते हैं. शुरुआत में यह ऐसा दिखाई पड़ता है जैसे एक बॉल में कोषिकाएं दिशाहीन घूम रही हों. लेकिन अचानक जैसे किसी ने गुप्त कमांड दी हो कुछ कोषिकाएं किनारे की ओर चली जाती हैं फिर रीढ़ की हड्डी बनती हैं और बाकी कोषिकाएं ऊपर नीचे की ओर खिसक जाती हैं, इनसे सिर और पूंछ बनती है.
विटब्रोड्ट को जापान की मेडाका मछली की जांच से आंख का निर्माण वाले जीन्स मिले हैं. इससे पता चला कि भ्रूण में कोषिकाएं काफी पहले से आंख बनाने के लिए के प्रोग्राम्ड होती हैं और अपने आप उस जगह पर चली जाती हैं जहां मछली की आंख होती है.
रिपोर्टः डीपीए/आभा एम
संपादनः ए जमाल