मलेरिया से मरते हैं दो लाख भारतीय
२२ अक्टूबर २०१०विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक नए शोध में पता चला है कि भारत में मलेरिया से मरने वालों की संख्या पहले बताई गई संख्या से 13 गुना ज्यादा है. पहले कहा गया था कि भारत में हर साल मलेरिया से 15,000 मौतें होती हैं. 5,000 बच्चे और 10,000 वयस्क इसके चलते दम तोड़ते हैं.
अब कहा जा रहा है कि हर साल 2,05,000 मौतें मलेरिया से होती हैं. इस घातक बीमारी की मार सबसे ज्यादा बच्चों पर पड़ती है. 55,000 बच्चे जन्म के कुछ ही सालों के भीतर काल के मुंह में समा जाते हैं. 30 हजार बच्चे पांच से 14 साल के बीच मलेरिया से दम तोड़ते हैं. 15 से 69 साल की उम्र के 1,20,000 लोग भी इस बेहरम बीमारी से बच नहीं पाते हैं.
लेकिन अब डब्ल्यूएचओ का कहना है कि उसके 6,671 फील्ड वर्करों में गहन ढंग से पड़ताल की है. इसमें पता चला है कि भारत में हर साल मलेरिया दो लाख लोगों की जान लेता है. शोध में सवा लाख से ज्यादा लोगों से बात की गई. इन लोगों ने बताया कि 2001 से 2003 के बीच उनके रिश्तेदारों की मौत मलेरिया से हुई.
डाटा की समीक्षा करने के बाद दो डॉक्टर इस नतीजे पर पहुंचे कि 100 में कम से कम तीन मौतें मलेरिया से होती हैं. 90 फीसदी मामले ग्रामीण इलाकों में सामने आते हैं. 86 फीसदी मलेरिया के मरीज को अस्पताल तक पहुंच भी नहीं पाते.
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक मलेरिया से मौतें अस्पताल के बजाए घरों में ज्यादा होती हैं. ऐसे कई मामलों का रिकॉर्ड तक दर्ज नहीं हो पाता है.
मलेरिया मच्छर से होने वाली एक बीमारी है. यह गर्म और नमी वाले इलाकों में फैलती है. यह मादा एनोफेलीज मच्छर से फैलती है. मलेरिया में रोगी को तेज बुखार, सिरदर्द, जोड़ों में दर्द की शिकायत के साथ उल्टी दस्त होते हैं. मच्छरों से बचाव करने पर मलेरिया से बचा जा सकता है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह
संपादन: वी कुमार