आ सकता है मलेरिया का नया टीका
२८ सितम्बर २०१०पूरी दुनिया के वैज्ञानिक और डॉक्टर वॉशिंगटन में मलेरिया के खिलाफ टीके के विकास में हुई प्रगति पर चर्चा के लिए मिल रहे हैं और वहां से अच्छी खबर आने की उम्मीद की जा रही है. ग्लोबल हेल्थ स्ट्रैटेजिज की उपाध्यक्ष ग्वाइन ऊस्टरबान का कहना है, "लोग उत्तेजित हैं कि हमें अंततः एक टीका मिलेगा जिसे रजिस्टर कराया जा सके और पांच साल में उपयोग में लाया जा सके."
वॉशिंगटन बैठक के केंद्र में आरटीएस,एस मलेरिया टीका होगा जिसका विकास ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन और मलेरिया टीका पहलकदमी पाथ ने आईटी से पैसा कमाने वाले बिल गेट्स और उनकी पत्नी मेलिंडा के फाउंडेशन के वित्तीय समर्थन से किया है.
आरटीएस,एस तीसरे चरण के ट्रायल में है, जिसके दौरान अफ्रीका के सात देशों बुरकीना फासो, गैबून, घाना, केन्या, मलावी, मोजांबिक और तंजानिया में टीके की सुरक्षा और गुणवत्ता की जांच की जा रही है. इन देशों मे 16,000 बच्चों और शिशुओं को टीका लगाने का लक्ष्य है.
दूसरे चरण के ट्रायल के नतीजों की घोषणा 2008 में की गई थी और कहा गया कि आरटीएस,एस टीका मच्छर के काटने की वजह से मलेरिया का शिकार होने वाले बच्चों में 53 फीसदी प्रभावी था. शिशुओं के मामले में यह 65 फीसदी प्रभावी पाया गया.
मलेरिया टीका पहलकदमी का कहना है कि यदि तीसरे चरण का ट्रायल और रजिस्ट्रेशन सफल रहता है तो यह टीका गंभीर बीमारी और मौत के खिलाफ कम से कम 50 फीसदी प्रभाव वाला पहली पीढ़ी का टीका बन जाएगा. ऊस्टरबान का कहना है कि इस टीके के विकास में 25 साल लगे हैं और हर क्षेत्र से जुड़े लोगों ने इसमें योगदान दिया है.
लंदन में तीन साल पहले मलेरिया के टीके पर हुए सम्मेलन के बाद हो रहे वॉशिंगटन सम्मेलन के वक्ताओं में आरटीएस,एस का विकास करने वालों में शामिल जो कोहेन के अलावा क्रिश्टियान ओकेनहाउस और थॉमस रिची भी होंगे जो मलेरिया के खिलाफ संघर्ष में अमेरिकी सेना की भूमिका पर चर्चा करेंगे.
रिपोर्ट: एएफपी/महेश झा
संपादन: ए कुमार