महंगाई के आंकड़े चिंता की बात: प्रणब
१४ अगस्त २०१०''सखी सैंया तो खूबई कमात हैं, महंगाई डायन खाए जात है'' गाना फिल्म पीपली लाइव का है लेकिन सरकार से लेकर करोड़ों भारतीयों तक की दशा बखूबी बयान कर देता है. शनिवार को भारत के वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने एक बार फिर से महंगाई पर चिंता जताई. उन्होंने कहा, ''वाकई महंगाई चिंता का विषय है.''
प्रणब ने सरकारी बैंकों के प्रमुखों के साथ बैठक की. बैठक में महंगाई से निपटने के रास्तों पर चर्चा हुई. हालांकि इस दौरान प्रणब फिर आकंड़ों की बाजीगरी करने लगे. उन्होनें कहा कि थोक मूल्य सूचंकाक के निचले आधार के चलते महंगाई में हल्की सी बढ़त भी काफी बड़ी लगती है. भारत में दो हफ्ते बाद फिर महंगाई की दर दहाई के अंकों तक पहुंच गई है. फिलहाल महंगाई दर 11.4 फीसदी है.
हर बार की तरह इस बार भी उम्मीद जताई जा रही है कि महंगाई जल्द खुद ब खुद काबू में आ जाएगी. कहा जा रहा है कि खाने पीने की चीजों के दाम जल्द कम होने लगेंगे. लेकिन यह जल्द कब आएगा, इसका ठोस जवाब कोई नहीं दे रहा है. जिस तरह से पाकिस्तान की बाढ़ में, रूस की आग में और यूरोप की गर्मी में फसल बर्बाद हुई है, अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य पदार्थों की कीमत बढ़ने की आशंका व्यक्त की जा रही है. भारत में बीते एक साल से गजब की महंगाई पसरी हुई है. 2009 के अंत तक महंगाई दर 20 फीसदी को पार कर चुकी थी.
चावल, दाल, आटे, सब्जियों और फलों के दाम आसमान छू रहे हैं. रिजर्व बैंक आए दिन बैंक रेट में बदलाव कर रहा है, लेकिन महंगाई डायन फिर भी काबू में नहीं आ रही है. आलोचना करने वाले अर्थशास्त्री कहते हैं कि सरकार बीमारी का इलाज करने के बजाए उसे अनदेखा कर रही है, सिर्फ बयान दे रही है. विपक्ष भी ऐसे ही आरोप लगा रहा है.
रिपोर्ट: पीटीआई/ओ सिंह
संपादन: महेश झा