मिस्र मे बातचीत, मुस्लिम ब्रदरहुड नाखुश
६ फ़रवरी २०११मिस्र में दो हफ्तों से चल रहे प्रदर्शनों और इस दौरान 300 लोगों की मौत के बाद सरकार के मुख्य वार्ताकार उपराष्ट्रपति ओमर सुलेमान ने विपक्षी गुटों से बात की. सरकार के प्रवक्ता मागदी रादी ने बताया कि सभी पक्ष जजों और राजनेताओं की एक कमेटी बनाने पर सहमत हुए हैं जो संविधान में प्रस्तावित संशोधनों और कानूनी परिवर्तनों की संभावनाओं का अध्ययन करेगी. यह काम मार्च के पहले हफ्ते तक पूरा कर लिया जाएगा. लेकिन बातचीत में हिस्सा लेने वाले ब्रदरहुड के एक नेता मोहम्मद मुर्सी ने कहा, "बयान अपर्याप्त है."
इस बातचीत के दौरान राजनीतिक कैदियों की शिकायतों के लिए एक दफ्तर बनाने, मीडिया पर लगी पाबंदियों में ढील, सुरक्षा स्थिति के आधार पर इमरजेंसी कानून हटाने और विदेशी हस्तक्षेप को खारिज करने पर भी सहमत हुए. लेकिन सुलेमान ने विपक्ष की अन्य मांगों को मानने से इनकार कर दिया. बातचीत में हिस्सा लेने वाले एक विपक्षी सदस्य ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, "हमने उनसे कहा कि संविधान के 139वें अनुच्छेद के मुताबिक राष्ट्रपति को अपनी शक्तियां उपराष्ट्रपति को दे देनी चाहिए, लेकिन उन्होंने इससे इनकार कर दिया."
ऐतिहासिक बातचीत
मुबारक के खिलाफ 13 दिन से हो रहे विरोध प्रदर्शनों में शामिल सभी दल इस बातचीत में मौजूद नहीं थे. तहरीर चौक पर जमा प्रदर्शनकारी अब भी मुबारक के इस्तीफे तक अपना आंदोलन जारी रखने की बात कर रहे हैं. इस बीच अरब दुनिया के सबसे शहर काहिरा में आम जिंदगी रविवार को पटरी पर लौटती दिखी. बैंकों के सामने लंबी कतारें देखी गईं. प्रदर्शनों के चलते हफ्ते भर से बैंक बंद थीं.
मुस्लिम ब्रदरहुड पर मिस्र में पाबंदी है. लेकिन सबसे संगठित विपक्षी गुट ब्रदरहुड के लिए रविवार का दिन बहुत ही अहम था. पचास साल में पहली सरकारी स्तर पर उसे प्रतिनिधित्व मिला. सरकारी समाचार एजेंसी मेना ने खबर दी है कि इस बातचीत में ब्रदरहुड, लिबरल वाफ्ड पार्टी, वामपंथी झुकाव वाली पार्टी तगाम्मु और युवा प्रदर्शनकारियों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. लेकिन पूर्व आईएईए प्रमुख और मुबारक के प्रतिद्वंद्वी के तौर पर उभरे मोहम्मद अल बारादेई को बातचीत के लिए आमंत्रित नहीं किया गया.
अब तक मुबारक तुरंत पद छोड़ने की अपीलों को खारिज करते रहे हैं. उनका कहना है कि वह सत्ता से ऊब चुके हैं लेकिन इस डर से पद नहीं छोड़ रहे हैं कि देश में अव्यवस्था फैल जाएगी. मुबारक ने कहा है कि वह सितंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनावों में हिस्सा नहीं लेंगे और देश में व्यवस्थित तरीके से सत्ता परिवर्तन के पक्ष में हैं.
अमेरिका को सिर दर्द
मिस्र के हालात अमेरिका के लिए सिरदर्द साबित हो रहे हैं. उसे प्रदर्शनों के बीच अपने पुराने सहयोगी मुबारक से सत्ता छोड़ने के लिए कहना पड़ रहा है. लेकिन पश्चिमी दुनिया को यह भी डर है कि चुनाव में मुस्लिम ब्रदरहुड के जीतने से देश में इस्लामी व्यवस्था कायम हो जाएगी. इससे अमेरिका और मिस्र के बीच नजदीकी साझेदारी भी खत्म हो जाएगी.
अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने सधे हुए अंदाज में मिस्र की बातचीत का स्वागत किया है. उनका कहना है, "आज हमें पता चला है कि मुस्लिम ब्रदरहुड ने बातचीत में हिस्सा लेने का फैसला किया है. इससे पता चलता है कि वे कम से कम उस वार्ता में शामिल हो रहे हैं, जिसे प्रोत्साहित करते हैं. हमें देखना होगा कि वहां कैसे घटनाक्रम आगे बढ़ता है. लेकिन हम जो चाहते हैं, उसके बारे में बहुत ही स्पष्ट हैं." शनिवार को अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने मिस्र के बारे में कई विश्व नेताओं से बात की और वहां तुरंत व्यवस्थित और शांतिपूर्ण तरीके से सत्ता परिवर्तन की प्रक्रिया शुरू करने को कहा.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः एस गौड़