मुबारक सत्ताधारी पार्टी प्रमुख पद से हटे
५ फ़रवरी २०११12 दिनों से लगातार विरोध प्रदर्शनों के बीच राष्ट्रपति होस्नी मुबारक ने सत्ताधारी नेशनल डेमोक्रेटिक पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है. हालांकि राष्ट्रपति पद छोड़ने का उन्होंने कोई संकेत नहीं दिया है जिसकी प्रदर्शनकारी मांग कर रहे हैं.
सरकारी टीवी की रिपोर्ट में कहा गया है, "कार्यकारी समिति के सदस्यों ने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है. होशाम बद्रावी को पार्टी का नया महासचिव बनाया गया है." बद्रावी के विपक्ष के अच्छे संबंध बताए जाते हैं. वह राष्ट्रपति मुबारक के बेटे गमल मुबारक की जगह पार्टी पोलित ब्यूरो के प्रमुख का पद भी संभालेंगे.
बंद करो प्रदर्शन
मिस्र के सेना प्रमुख हसन अल रोनी ने तहरीर चौक पर लाउडस्पीकर के जरिए प्रदर्शनकारियों को संबोधित किया. उन्होंने कहा, आपको अभिव्यक्ति की पूरी स्वतंत्रता है, लेकिन मेहरबानी करके जो भी मिस्र में बचा है उसे बचाइए. अपने आसपास देखिए. जबाव में प्रदर्शनकारियों ने नारे लगाए राष्ट्रपति मुबारक को इस्तीफा दो. इस पर रोनी ने कहा, मैं इस तरह नारों के बीच तो नहीं बोल सकता हूं.
इससे पहले सैनिकों ने कुछ प्रदर्शनकारियों को हटाया ताकि ट्रैफिक बहाल हो सके. शनिवार को सरकार विरोधी प्रदर्शनों के 12वें दिन भी हजारों लोग तहरीर चौक पर जमा हुए. अल रोनी ने प्रदर्शनकारियों से बीतचीत में कहा, हमें चौक के आसपास सड़कों को साफ करना होगा. तहरीर चौक पर फिर सामान्य तरीके से यातायात बहाल करना होगा. लोग तहरीर पर ठहर सकते हैं, लेकिन सड़क से हटना होगा. मिस्र में हफ्ते की शुरुआत रविवार से होती हैं.
सेना के रुख पर प्रदर्शनकारियों की राय मिली जुली है. वैसे 12 दिनों के विरोध प्रदर्शनों के दौरान से सेना के साथ प्रदर्शनकारियों के रिश्ते अच्छे रहे हैं. मुबारक की सत्ताधारी नेशनल डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ इशारा करते हुए एक प्रदर्शनकारी सैयद हाम्दी ने कहा, सेना तो एनडीपी पार्टी की नौकरी कर रही है. वह प्रदर्शनकारियों को अलग करना चाहती है. वह तहरीर चौक पर पहले की तरह सामान्य स्थिति चाहती है ताकि दुनिया यह समझे कि प्रदर्शनकारी संतुष्ट हो गए हैं और इसलिए उन्होंने तहरीर चौक को छोड़ दिया है.
ईरान के तकरार
उधर विरोध प्रदर्शनों को लेकर मिस्र और ईरान के बीच कूटनीतिक तकरार शुरू हो गई है. ईरान के सर्वोच्च नेता अयातोल्लाह खमेनाई ने मिस्र के प्रदर्शनकारियों की तारीफ करते हुए उनकी मुहिम को इस्लामी मुक्ति आंदोलन का नाम दिया. उन्होंने मिस्र और ट्यूनिशिया के लोगों को सलाह दी कि वे अपने धर्म के साथ और पश्चिम के खिलाफ एकजुट हो जाएं. उन्होंने मिस्र की सेना को भी प्रदर्शनकारियों का साथ देने को कहा.
इस्राएल की तरफ इशारा करते हुए ईरानी नेता ने कहा कि अरब जगत को जायोनिस्ट दुश्मन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. ईरान के इस रुख पर मिस्र ने कड़ी आपत्ति जताई है. मिस्र के विदेश मंत्री अहमद अब्दुल गेती ने कहा कि ईरान ने लक्ष्मणरेखा को पार कर दिया है. मिस्र की सरकारी समाचार एजेंसी मेना ने विदेश मंत्री गेती के हवाले से कहा है, खमेनाई के शब्दों की निंदा होनी चाहिए, क्योंकि वे लक्ष्मण रेखा को पार करते हैं. उनसे आक्रामकता और गुस्से को बढ़ावा मिलता है.
ईरान में 1979 की इस्लामी क्रांति और मिस्र की तरफ से इस्राएल को मान्यता दिए जाने के बाद 1980 में दोनों देशों के संबंध टूट गए. मध्यपूर्व शांति प्रक्रिया और इस्राएल व अमेरिका से रिश्तों समेत कई मुद्दों पर दोनों देशों के बीच मतभेद हैं.
शिया बहुल ईरान और सुन्नी बहुल मिस्र में मध्यपूर्व पर अपना प्रभाव कायम करने की होड़ रही है. मिस्र के उपराष्ट्रपति उमर सुलेमान ने भी देश के आतंरिक मामलों में विदेशी दखल को खारिज किया है. अमेरिका और यूरोपीय संघ ने मिस्र में राजनीतिक बदलाव की प्रक्रिया तुरंत शुरू करने का आह्वान किया है.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः एस गौड़