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मुल्ला एफएम से पाकिस्तानी सेना परेशान

१८ अक्टूबर २०११

आतंकवाद के मसले पर पाकिस्तान ने अमेरिका और अफगानिस्तान से कड़े कदम उठाने को कहा है. इस्लामाबाद ने काबुल से तालिबान के एक मौलवी के खिलाफ कदम उठाने को कहा है. तालिबान के एफएम मौलवी से पाकिस्तानी सेना परेशान है.

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फजलुल्लाह के सिर पर लाखों का इनाम हैतस्वीर: AP

पाकिस्तान के मुताबिक अमेरिका और अफगानिस्तान की फौजें तालिबान के मौलाना फजलुल्लाह के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं कर पा रही है. फजलुल्लाह को फसाद की प्रमुख जड़ बताते हुए पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल अतहर अब्बास ने कहा, "हमने अफगान सरकार और आईसैफ को इन संगठनों के स्थान और उनसे संबंधित अन्य जानकारियां दे दी हैं. लेकिन देखा जाए तो कोई कदम उठाया नहीं गया है."

पाकिस्तानी सेना ने तंज के स्वर में कहा, "यह दिक्कत खत्म होने का नाम नहीं ले रही है."

आईसैफ ने इस बारे में कुछ भी साफ नहीं कहा. आईसैफ के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल जिमी कुमिंग्स ने कहा, "हम पाकिस्तान के साथ मिलकर काम कर रहे हैं ताकि अफगानिस्तान और उसके सीमावर्ती इलाकों में दीर्घकालीन सुरक्षा का इंतजाम हो सके."

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पाकिस्तान और अफगानिस्तान का सरहदी इलाका चरमपंथियों की सुरक्षित शरणस्थली माना जाता हैतस्वीर: picture-alliance/dpa

फजलुल्लाह पाकिस्तान की स्वात घाटी में तालिबान का नेता था. 2009 में तालिबान के खिलाफ पाक सेना की कार्रवाई के दौरान फजलुल्लाह स्वात घाटी से भाग निकला. फजलुल्लाह को एफएम मुल्ला के नाम से भी जाना जाता है. रेडियो पर तालिबान की तरफ से भड़काऊ संदेश फजलुल्लाह ही देता है. पाकिस्तानी सेना के मुताबिक अफगानिस्तान में छुपा फजलुल्लाह पाकिस्तान को बार बार धमकियां देता रहता है. अब्बास के मुताबिक इस वक्त वह कुनार और नूरीस्तान प्रांत के बीच छुपा हुआ है.

पाकिस्तानी सेना इस वक्त फजलुल्लाह को अपने लिए सबसे बड़ी समस्या मानती है. सेना का आरोप है कि अफगानिस्तान एफएम मुल्लाह को बढ़ावा दे रहा है. अब्बास ने आरोप लगाया, "उन्हें अफगानिस्तान में समय और समर्थन मिला. अब फजलुल्लाह और उसके लोग दीर के रास्ते स्वात में दाखिल होना चाह रहे हैं."

पाकिस्तानी सेना के इस बयान पर अफगान अधिकारियों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी. अफगानिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा महानिदेशालय के प्रवक्ता लुतफुल्लाह मशाल ने कहा, "आम तौर पर आतंकवादी गुट सीमा के दूसरी ओर से यहां आते हैं और हमले करते हैं. एक बात मैं दावे से कहता हूं कि कोई भी संगठन अफगानिस्तान में एकजुट नहीं हुआ है. हमारे यहां किसी ने ठिकाना नहीं बनाया है."

हाल के महीनों में पाकिस्तान और अफगानिस्तान के संबंधों में काफी तनाव आया है. पहले अफगानिस्तान ने पाकिस्तानी सेना पर सीमावर्ती इलाकों में बमबारी करने का आरोप लगाया. फिर इस्लामाबाद पर आरोप लगा कि उसने तालिबान से बातचीत के लिए नियुक्त प्रमुख दूत की हत्या करवाई. पाकिस्तान आरोपों से इनकार करता है.

पाक इंस्टीट्यूट ऑफ पीस स्टडीज के निदेशक आमिर राणा कहते हैं कि पाकिस्तानी सेना के इस नए दावे से 'मतभेद और बढ़ेंगे. मामला राजनीतिक रंग ले चुका है. एक समस्या सीमा की सुरक्षा से जुड़ी थी. अब राजनीतिक मुद्दा बन चुकी है. इसका असर द्विपक्षीय संबंधों पर पड़ेगा.'

रिपोर्ट: रॉयटर्स/ओ सिंह

संपादन: ए कुमार

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