'मेरी बर्फी 100 करोड़ की'
१६ सितम्बर २०१२इस सप्ताह रिलीज हुई फिल्म बर्फी में अपने मूक और बधिर किरदार के अभिनय के लिए प्रशंसा बटोरने वाले रणबीर खुद की एक्टिंग से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं. वह कहते हैं कि एक कलाकार को हर किस्म की भूमिका निभाने के लिए तैयार रहना चाहिए.
डॉयचे वेलेः अब सौ, दो सौ करोड़ की कमाई बालीवुड में किसी फिल्म की कामयाबी का पैमाना बन गया है. बर्फी से आपकी क्या उम्मीदें हैं ?
रणबीर कपूरः देखिए, सिनेमा एक व्यावसायिक माध्यम है. कोई भी फिल्मकार अपने मित्रों या आलोचकों के लिए फिल्में नहीं बनाता. यह एक महंगा माध्यम है. किसी फिल्म के सौ या दो सौ करोड़ कमाने का मतलब यह है कि दर्शकों ने उसे काफी पसंद किया है. मैंने बर्फी को कला फिल्म के तौर पर हाथ में नहीं लिया था. मुझे इसका किरदार काफी पसंद आया था. उम्मीद है कि यह फिल्म भी आगे चल कर सौ करोड़ का कारोबार करेगी.
डॉयचे वेलेः यह फिल्म क्या संदेश देती है ?
इसका संदेश वही है जो आनंद में राजेश खन्ना ने दिया था कि जिंदगी बड़ी होनी चाहिए, लंबी नहीं. हमने बताना चाहा है कि प्रतिकूल हालात के बावजूद आदमी को सब कुछ भुलाकर जीवन का आनंद उठाना चाहिए. इसमें चार्ली चैपलिन की तरह अपनी चुप्पी के सहारे ही हीरो के किरदार ने खुद को अभिव्यक्त करने का प्रयास किया है. अब यह प्रयास कितना कामयाब रहा है, यह तो दर्शक ही तय करेंगे.
डॉयचे वेलेः कोई अधूरी ख्वाहिश ?
मैं किसी एक अभिनेता की तरह किसी एक मुकाम तक नहीं पहुंचना चाहता. मैं अमिताभ से लेकर शाह रुख खान तक हर कामयाब अभिनेता की अभिनय कला और उसके बेहतर गुणों को आत्मसात करना चाहता हूं. मुझे किसी से अपनी तुलना पसंद नहीं है. हर व्यक्ति का अपना अलग अंदाज होता है.
अपने पांच साल के करियर में आपने नौ अलग-अलग किस्म की भूमिकाएं निभाई हैं. अब क्या करना चाहते हैं ?
भूमिकाओं के मामले में मैं बहुत लालची हूं. मैं हर किस्म की भूमिकाएं निभाना चाहता हूं. अभी मुझे अपने मुकाम तक पहुंचने के लिए लंबी दूरी तय करनी है.
किसी फिल्म में किरदार की जीवंतता आपके हिसाब से कैसे तय होती है ?
किसी फिल्म में किसी किरदार को जीवंत करना तो कई चीजों पर निर्भर है. यह काफी हद तक निर्देशक व पटकथा पर निर्भर है. किसी भी अभिनेता की कामयाबी निर्देशक पर निर्भर है. वही किसी अभिनेता से उसका सर्वश्रेष्ठ अभिनय कराने में सक्षम होता है. फिल्म की कामयाबी और किरदार की जीवंतता काफी हद तक इस बात पर भी निर्भर होती है कि निर्देशक की दूरदृष्टि कैसी है.
हिंदी फिल्मों में आपके पसंदीदा अभिनेता और अभिनेत्रियां कौन हैं ?
पापा ऋषि कपूर मेरे सबसे पसंदीदा अभिनेता हैं. नए लोगों में रणवीर सिंह, अर्जुन कपूर, दीपिका पादुकोण, अनुष्का शर्मा, कैटरीना कैफ और परिणीती चोपड़ा के अभिनय ने मुझे खासा प्रभावित किया है. उनमें काफी संभावनाएं हैं.
आप दीपिका पादुकोण के साथ ये जवानी है दीवानी में काम कर रहे हैं. उनके बारे में आप क्या
सोचते हैं ?
वह एक बेहतरीन अभिनेत्री हैं. किसी वजह से हमारे रिश्ते टूट गए. लेकिन हम अपने अतीत को पीछे छोड़ कर अब एक बढ़िया मित्र हैं. दीपिका ने अपने अभिनय का लोहा मनवा लिया है. मुझे उन पर गर्व है. एक अभिनेत्री के तौर पर उनमें काफी निखार आया है. काकटेल में उनका अभिनय लाजवाब था. वह बाहर से जितनी सुंदर हैं, भीतर से भी उतनी ही सुंदर हैं.
आपकी भावी योजना क्या है ?
बस, बर्फी के बाद अब अर्जेटीना में ये जवानी है दीवानी की शूटिंग होनी है. यह फिल्म अगले साल 29 मार्च को रिलीज होनी है. इसके अलावा दो अन्य फिल्में हाथ में हैं, अभिनव कश्यप की बेशरम और उनके भाई अनुराग कश्यम की बांबे वेलवेट. लेकिन उनकी शूटिंग अब तक शुरू नहीं हो सकी है.
आप निर्देशन की भी इच्छा जता चुके हैं. उस दिशा में क्या प्रगति हुई है ?
यह मेरा सपना और लक्ष्य है. लेकिन दिक्कत यह है कि मैं हमेशा लक्ष्य तय कर पीछे हट जाता हूं. जब मेरे पास कहने के लिए कोई कहानी होगी तो निर्देशन की तमन्ना जरूरी पूरी हो जाएगी. फिलहाल तो इंतजार ही कर सकते हैं इसके लिए.
इंटरव्यूः प्रभाकर, कोलकाता
संपादनः आभा मोंढे