मैनचेस्टर सिटी से टेवेज का एक्जिट
२९ सितम्बर २०११टीम के सबसे कद्दावर खिलाड़ी को सस्पेंड कर दिया गया है. सिटी के लिए यह काम आसान नहीं रहा होगा लेकिन सच तो यह है कि टेवेज ने खेल का बुनियादी नियम तोड़ा है. नियम यह कि कोई भी खिलाड़ी अपनी टीम से बड़ा नहीं हो सकता है. टेवेज ने चैंपियंस लीग के मैच में बायर्न म्यूनिख के खिलाफ खेलने से इनकार कर दिया. टीम 30 मिनट रहते उन्हें ग्राउंड में उतारना चाहती थी लेकिन वह बेंच पर ही बैठे रह गए. मैनचेस्टर सिटी मैच हार गई.
अगर मैनचेस्टर सिटी के मैनेजर रोबर्टो मानसिनी पूरी बात सही कह रहे हैं और टेवेज ने बिलकुल ऐसा ही किया है, तो उनकी वजह से फुटबॉल जगत पर एक बड़ा बट्टा लगा है.
खिलाड़ी हुए शक्तिशाली
फुटबॉल क्लब और मैनेजर लंबे वक्त से इस बात की शिकायत करते आए हैं कि फुटबॉल खिलाड़ी और उनके एजेंट बेहद शक्तिशाली होते जा रहे हैं, अक्खड़ होते जा रहे हैं क्योंकि उनके पास पैसा बढ़ता जा रहा है. टेलीविजन और मार्केटिंग की दुनिया ने उनके अहम को और बढ़ा दिया है.
जर्मन क्लब बायर्न म्यूनिख के खिलाफ खेलते हुए टेवेज ने जो कुछ किया, वह उनके और उनके क्लब के फैन्स ने भी देखा. इसने इस बात को भी साबित कर दिया कि भले ही अबु धाबी के शेख मंसूर बिन जायेद अल नहयान ने मैनचेस्टर सिटी क्लब को 2008 में खरीद लिया हो लेकिन इससे उसकी सफलता की गारंटी नहीं होती. उनके बेहिसाब पैसों ने बड़े खिलाड़ियों को भले ही खरीदने में कामयाबी हासिल कर ली हो लेकिन उनके पड़ोस में एलेक्स फर्गुसन जिस क्लब को 25 सालों से बेमिसाल कामयाबी के साथ चला रहे हैं, वैसा कुछ नहीं हो पाया. फर्गुसन लंबे वक्त से मैनचेस्टर शहर के ही दूसरे क्लब मैनचेस्टर यूनाइटेड के मैनेजर हैं. टेवेज खुद भी लगभग दो साल तक उस क्लब में खेल चुके हैं..
बेंच से नाराजगी
अर्जेंटीना के टेवेज पिछले साल मैनचेस्टर सिटी की तरफ से सबसे ज्यादा गोल करने वाले फुटबॉलर थे. बायर्न के खिलाफ जब उनका क्लब दो गोल से पिछड़ रहा था और खेल में आधा घंटा बचा था तो मैनेजर मानसिनी उन्हें ग्राउंड पर भेज कर करिश्मा कराना चाहते थे. लेकिन टेवेज ने शायद बेंच पर बिठाए जाने की अपनी नाराजगी दिखाते हुए ऐसा करने से इनकार कर दिया. कसी मांसल भुजाओं वाले टेवेज ने पहले ऐसा कारनामा कर रखा है और चीते की तरह गोल पर झपटते की उनकी अदा खासी लोकप्रिय है. पर इस बार उन्होंने अपनी मर्जी से ऐसा करने से इनकार कर दिया.
ब्यूनस आयर्स की बदनाम गलियों में पले बढ़े टेवेज की गर्दन पर जले का एक निशान है, जिसे वह कभी छिपाते नहीं. न ही प्लास्टिक सर्जरी से इसे दूर करने की कोशिश की है. उनकी पृष्ठभूमि को देखते हुए मौजूदा स्थिति पर वह नाज कर सकते हैं, जहां सिर्फ गेंद को किक मारने के लिए उन्हें बेशुमार पैसे मिलते हैं और उनके साथी खिलाड़ी उन्हें चाहते हैं. लेकिन खेलने से इनकार कर देने की वजह से उनके नाम पर बट्टा लग गया है.
वजह साफ नहीं
इसकी वजह अब भी साफ नहीं है. टेवेज का कहना है कि उन्होंने मना नहीं किया, हालांकि बेंच पर वह जिस तरह टांग पर टांग चढ़ा कर बैठे दिखते हैं, उससे लगता नहीं कि वह खेलना चाहते थे. उन्होंने मैनचेस्टर सिटी के फैन्स से माफी मांग ली है लेकिन उन पर कार्रवाई कर दी गई है. अधिकतम दो हफ्ते के लिए उन्हें सस्पेंड कर दिया गया है और इस बीच मामले की जांच होगी.
लेकिन इस तरह का कुछ होने के इमकान पहले से थे. टेवेज ने गर्मियों के शुरू में ही साफ कर दिया था कि वह सिटी के साथ नहीं बने रहना चाहते क्योंकि वह अपने परिवार को मिस करते हैं. उनकी पत्नी वनेसा और दो बेटियां उत्तरी इंग्लैंड की सर्दियों में अच्छा महसूस नहीं करतीं. पिछले कुछ सालों से वह एक क्लब से दूसरे क्लब में भटक रहे हैं. इस दौरान उन्होंने खूब गोल भी किए हैं लेकिन अपनी कीमत इतनी बढ़ा दी है कि सिर्फ टॉप क्लब ही उन्हें लेने की हिम्मत कर सकती हैं.
इस सत्र में मैनचेस्टर सिटी के साथ उनके रिश्ते अच्छे नहीं रह पाए और उन्हें ज्यादातर मैच के दौरान बेंच पर ही बिठाया गया क्योंकि मैनेजर मानसिनी का कहना है कि वह खेलने के लिए तैयार नहीं हैं. उनके पास दूसरी वजह भी है. वह जानते हैं कि आज या कल टेवेज चले जाएंगे और ऐसी स्थिति में उन्हें दूसरे खिलाड़ियों को उनकी जगह तैयार करना होगा और उन्हें टेवेज से ज्यादा मौके देने होंगे.
पिछले साल वर्ल्ड कप में फ्रांस के खिलाड़ियों ने भी मैनेजर से विद्रोह कर दिया था और वे ट्रेनिंग के लिए बाहर नहीं आए थे. लेकिन वह ट्रेनिंग की बात थी. यह असली मैच की बात है. टेवेज पर ज्यादा दबाव है.
वैसे तो कई फुटबॉलर गलत वजहों से सुर्खियों में रहे हैं लेकिन इस तरह क्लब या टीम से उन्होंने सीधे सीधे टकराव नहीं लिया है. अब टेवेज की इस हरकत ने उन्हें फुटबॉल के काले पन्ने की ओर धकेल दिया है और लगता है कि मैनचेस्टर सिटी पहले मौके पर इस दागदार माल को निकाल देने में गुरेज नहीं करेगा.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल
संपादनः महेश झा