मोबाइल फोन से बढ़ता है कैंसर का खतराः डब्लूएचओ
१ जून २०११लंदन में 14 देशों से 31 वैज्ञानिकों की डब्लूएचओ की अंतरराष्ट्रीय कैंसर अनुसंधान एजेंसी (आईएआरसी) में बैठक हुई. उन्होंने कहा कि मौजूद वैज्ञानिक सबूत दिखाते हैं कि सेल फोन के इस्तेमाल से कैंसर का खतरा बढ़ता है. वैज्ञानिक मोबाइल फोन को भी सीसा, क्लोरोफॉर्म और कॉफी जैसी उन चीजों की श्रेणी में रख रहे हैं जिनसे कैंसर का खतरा बढ़ता है. इसके बाद संयुक्त राष्ट्र की संस्था मोबाइल फोन से जुड़े दिशानिर्देशों की छानबीन कर सकती है.
लेकिन इस खतरे के बारे में निश्चित तौर पर कुछ कहने से पहले और रिसर्च की जरूरत है. पहले डब्लूएचओ ने कहा कि इस बात के कोई सबूत नहीं हैं कि कैंसर और मोबाइल फोन में कोई संबंध है. अब आईएआरसी के समूह के अध्यक्ष जॉनाथन सैमेट ने कहा, "इस बारे में सभी जरूरी प्रमाणों की समीक्षा के बाद पाया गया है कि रेडियोफ्रीक्वेंसी इलेक्ट्रोमैग्नेटिक क्षेत्र से इंसानों में कैंसर का खतरा बढ़ता है."
उन्होंने बताया कि कुछ प्रमाण बताते हैं कि मोबाइल फोन के इस्तेमाल से एक प्रकार के ब्रेन कैंसर ग्लिओमा को बढ़ावा मिल सकता है. 1980 के दशक में शुरू होने वाले मोबाइल फोन आज हर किसी जिंदगी का हिस्सा बन गए हैं. इस वक्त दुनिया में पांच अरब मोबाइल फोन बताए जाते हैं. जानकार बताते हैं कि स्वाथ्य से जुड़े खतरों के बावजूद लोग मोबाइल फोन का इस्तेमाल बंद नहीं करेंगे. हो सकता है कि वे हेडसेट जैसे उपकरणों को खरीदने पर जोर दें जिनसे इस खतरे को कम किया सके.
मोबाइल फोन कंपनियां और सेल फोन से स्वास्थ पर पड़ने वाले संभावित खतरे को लेकर मुहिम चलाने वाली संस्थाएं डब्लूएचओ के रुख का इंतजार कर रही थीं. कई कंपनियों ने सेल फोन से होने वाले खतरों को ज्यादा तवज्जो नहीं दी है. उनका कहना है कि कैंसर का खतरा तो अचार या फिर कॉफी से भी बढ़ता है. अमेरिका के वायरलैस संघ सीटीआईए के उपाध्यक्ष जॉन वाल्स का कहना है, "आईएआरसी के क्लासिफिकेशन का यह मतलब नहीं है कि मोबाइल फोन के इस्तेमाल से कैंसर होता है." उन्होंने कहा कि आईएआरसी ने कोई नया अनुसंधान नहीं किया है, बल्कि सिर्फ इस बारे में प्रकाशित अध्ययनों की समीक्षा की गई है. अन्य कंपनियां भी इस बारे में और रिसर्च किए जाने की बात कह रही हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः एमजी