यंग इमाम शो दूसरे देशों तक पहुंचाने की कोशिश
३ अगस्त २०१०इस रियालिटी शो में बेस्ट यंग इमाम ढूंढने के लिए प्रतियोगिता आयोजित की जाती है. इस साल 26 वर्षीय मुहम्मद असिरफ रिदजुआन मलयेशिया के इमाम मुदा यानी यंग इमाम चुने गए हैं.
दस एपिसोड वाले इस शो के ज़रिए कोशिश की जा रही है कि युवा लोगों में इस्लाम के प्रति रुचि जगाई जाए और रियालिटी टीवी शो और धार्मिक परंपरा को साथ लाने की कोशिश की जा रही हैं.
इस शो के कारण मलयेशिया और दुनिया भर में कुरान की आयतें पढ़ने वाले स्मार्ट युवाओं के प्रति लोगों की रुचि जाग रही है. साथ ही ये भी देखा जाता है कि कितनी अच्छी तरीके से वे इस्लाम धर्म की परंपरा का पालन करते हैं.
इस प्रतियोगिता में जीते असिरफ को पुरस्कार के तौर पर सउदी अरब की अल मदीना युनिवर्सिटी में स्कॉलरशिप, कुआलालंपुर में मौलवी की नौकरी, एक आई फोन, कार मिली है. साथ ही मक्का जाने के लिए पूरा खर्च और कैश इनाम दिया गया है.
असिरक ने बहुत खुशी जाहिर की. बात मेरे चैंपियन बनने की नहीं है, लेकिन मुझे इस बात की खुशी है कि दुनिया भर में इस कार्यक्रम को देखा गया. इमाम मुदा के सभी प्रतियोगी संतुष्ट हैं क्योंकि हमारा उद्देश्य समुदाय की सफलता है.
इस शो के लिए एक हज़ार से ज्यादा लोगों ने आवेदन किया था लेकिन ऑडिशन के बाद 10 ही लोगों को चुना गया. इन प्रतियोगियों को धार्मिक प्रार्थना के अलावा, समुदाय की समस्यों को सुलझाने की चुनौती का सामना करना पडा. शो के लिए असिरफ और बाकी प्रतियोगियों को अपने परिवार से तीन महीने दूर रह कर कठिन समय बिताना पडा. इसमें इन्हें टीवी, फोन, इंटरनेट का इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं थी और कड़े नियमों का पालन करना होता था.
इमाम मुदा का ग्रैंड फाइनल इंटरनेट पर 16 देशों में लाइव देखा गया जिसमें अमेरिका, ब्रिटेन, संयुक्त अरब अमीरात, भारत, कनाडा, जर्मनी शामिल हैं. फेसबुक में 60 हज़ार से ज्यादा लोग इस कार्यक्रम की ओर आकर्षित हुए. अब इसे दूसरे देशों के लिए भी बनाने की कोशिश की जा रही है.
रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम
संपादनः ओ सिंह